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Jagannath Rath Yatra: जानिए क्यों अविवाहित प्रेमी जोड़े साथ नहीं जाते जगन्नाथ मंदिर

Jagannath Rath Yatra: पुरी में मौजूद जगन्नाथपुर मंदिर हिंदू धर्म के प्रसिद्ध चार धामों में से एक है. देश विदेश में आस्था का प्रतीक जगन्नाथपुर मंदिर का इतिहास काफी चमत्कारिक है. इस मंदिर से जुड़ी कई बातें रहस्यमय है. तो चलिए आज हम आपको बताते हैं क्यों अविवाहित जोड़े इस मंदिर में साथ प्रवेश नहीं करते हैं.

Jagannath Rath Yatra: ओडिशा का पुरी शहर इस वक्त भक्ति और जनसैलाब में डूबा हुआ है. हजारों-लाखों की संख्या में देश-विदेश से लोग जगन्नाथ रथ यात्रा में शामिल होने पुरी पहुंच रहे हैं. आस्था के जनसैलाब से भरा पुरी शहर भक्तिमय हो चुका है. 7 जुलाई को भगवान जगन्नाथ,भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ गर्भगृह से निकलकर भक्तों को दर्शन देंगे. इस दौरान करोड़ों की भीड़ भगवान के रथ की रस्सी खींचने के लिए और इस आलौकिक पल को अपनी नजरों में कैद करने के लिए वहां मौजूद होंगे. पुरी में मौजूद भगवान जगन्नाथ का विश्व विख्यात मंदिर अपनी चमत्कारिक शक्ति के लिए प्रसिद्ध है. इस मंदिर से जुड़े कई रोचक और रहस्यमय तथ्य हैं. जगन्नाथपुर मंदिर के बारे में यह भी कहा जाता है की अविवाहित प्रेमी जोड़े इस मंदिर में साथ नहीं प्रवेश करते हैं.

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Jagannath Rath Yatra: राधा रानी ने दिया था श्राप

Jagannath Temple Puri
Jagannath temple puri

पुरी जगन्नाथ मंदिर को लेकर पौराणिक कथा प्रचलित है कि एक बार राधा जी को जगन्नाथपुर मंदिर जाने की इच्छा हुई. जब राधा जी मंदिर में प्रवेश कर रही थी तब पुजारी ने उन्हें द्वार पर ही रोक दिया. जब राधा जी ने पुजारी से ऐसा करने की वजह पूछी, तो पुजारी ने उत्तर दिया कि आप श्री कृष्ण की प्रेमिका हैं और विवाहिता भी नहीं हैं इसलिए आपको मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं है. इस बात से नाराज होकर राधा जी ने जगन्नाथपुर मंदिर को श्राप दे दिया कि अगर कोई भी अविवाहित प्रेमी जोड़ा इस मंदिर में दर्शन करने आएगा, तो उसे जीवन भर कभी भी अपने प्रेमी या प्रेमिका का साथ और प्यार नहीं मिलेगा. यही कारण है आज भी जगन्नाथ मंदिर में कोई भी अविवाहित प्रेमी जोड़ा एक साथ दर्शन करने नहीं जाता है.

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Jagannath Rath Yatra: रथ यात्रा होती है खास

जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा तीन अलग-अलग रथों पर सवार होकर नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं. इस दौरान तीनों भाई-बहन मौसी के घर गुंडिचा मंदिर पहुंचते हैं और 7 दिन तक वहीं रुकते हैं. वहां कुछ दिन आराम करने के बाद तीनों भाई-बहन वापस मुख्य मंदिर आ जाते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रथ यात्रा बेहद खास होती है प्रभु जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के रथ को खींचने वाले साधकों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है. उन्हें जीवन में आने वाली सभी बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है. कहा जाता है रथ यात्रा में शामिल होने से लोगों को मोक्ष प्राप्त होता है.

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