Airports In Bihar: बिहार के 18 जिलों में एयरपोर्ट का संचालन किया जाएगा. राज्य सरकार ने यह फैसला पहले ही ले लिया था. अब विमान संगठन निदेशालय ने राज्य के 18 जिलों को पत्र भेजकर बताया है कि उनके जिले में स्थित एयरपोर्ट की स्थिति सुधारने और हवाई सेवा के सुचारू संचालन के लिए बुनियादी सुविधाओं के निर्माण की योजना है. इसके लिए डीएम से एस्टिमेट मांगा गया है. पूर्वी बिहार, सीमांचल और कोसी क्षेत्र के जिलों में स्थित अधिकांश एयरपोर्ट की स्थिति बेहद खराब है. कई एयरपोर्ट ऐसे हैं जहां खुला मैदान है. वहां किसी तरह की कोई सुविधा नहीं है.
इन जिलों में विकसित होंगे एयरपोर्ट
बिहार सरकार के वायुयान संगठन निदेशालय के निदेशक संचालन निशीथ वर्मा ने बेगूसराय, भागलपुर, सुपौल, सारण, रोहतास, किशनगंज, मधुबनी, मुंगेर, पूर्णिया, सहरसा, पश्चिमी चंपारण, कैमूर, नालंदा, बक्सर, भोजपुर, जहानाबाद, पूर्वी चंपारण व कटिहार डीएम को पत्र भेजा है. राज्य सरकार के स्वामित्व वाले हवाई अड्डों को विकसित करने व समस्याओं के निष्पादन के लिए मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 24.01.2023 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक हुई थी.
निदेशालय का क्या है निर्देश
बैठक में हवाई अड्डा से संबंधित विभिन्न आवश्यक कार्य कराने का निर्देश दिया गया था. इस निर्देश के बाबत निदेशक निशीथ वर्मा ने डीएम से कहा है कि हवाई अड्डों पर वीआइपी लॉन्ज, वेटिंग लॉन्ज, चहारदीवारी व गेट का निर्माण शीघ्र किया जाना है. लिहाजा हवाई सेवा के सुगमतापूर्वक संचालन के लिए उक्त कार्यों को कराने की शीघ्र कार्रवाई करते हुए एस्टिमेट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है, ताकि प्रशासनिक स्वीकृति की कार्रवाई की जा सके.
Also Read: बिहार में बनेंगे दो स्पेशल इकोनॉमिक जोन, रोजगार और निवेश को मिलेगा बढ़ावा
क्या है पूर्व बिहार, कोसी व सीमांचल के जिलों में हवाई अड्डा की स्थिति
- भागलपुर : चहारदीवारी बनी हुई है. चार करोड़ से रनवे व पहुंच पथ के निर्माण का टेंडर निकल चुका है. लॉन्ज की सुविधा है. गेट का नवनिर्माण कराया जा रहा है.
- पूर्णिया : हवाई सेवा शुरू करने की प्रक्रिया चल रही है. 15 एकड़ अतिरिक्त जमीन के अधिग्रहण की कार्रवाई चल रही है. अभी तक जमीन मिली नहीं है.
- सुपौल : वीरपुर में हवाई अड्डा है. यह चारागाह बना हुआ है. इसमें एसएसबी का कैंप है. चहारदीवारी और वेटिंग लॉन्ज है. वीआइपी लॉन्ज वर्ष 2008 की बाढ़ में ध्वस्त हो गया था.
- किशनगंज : चहारदीवारी, गेट, वीआइपी व वेटिंग लॉन्ज है. विशेष अवसर पर नेताओं, मंत्रियों या किसी वीआइपी को लेकर छोटी फ्लाइट यहां लैंड करती रही है.
- सहरसा : बहुत खराब स्थिति है. चहारदीवारी टूटी हुई है. चारागाह बन कर रह गया है हवाई अड्डा. बच्चे यहां क्रिकेट खेलते हैं. रनवे टूटा हुआ है. लॉन्ज नहीं है.
- मुंगेर : हवाई अड्डा में बाउंड्री बनी हुई है. लेकिन चुनावी सभा के दौरान तीन जगह गेट के लिए तोड़ा गया था, जो अभी तक नहीं बना है. लॉन्ज व गेट बना हुआ है.
- कटिहार : लॉन्ज नहीं है. चहारदीवारी है, पर जगह-जगह टूटी हुई है. लोग इसका इस्तेमाल रास्ते के लिए करते हैं. गेट नहीं है.
(इनपुट : पूर्णिया से अरुण कुमार, सुपौल से राजीव झा, किशनगंज से अवधेश यादव, सहरसा से दीपांकर, मुंगेर से राणा गौरीशंकर व कटिहार से राजकिशोर.)