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अरबों का लेखा-जोखा, पर निगम के पास नहीं है कोई रोड मैप

अरबों का लेखा-जोखा, पर निगम के पास नहीं है कोई रोड मैप

विवादों व आपसी तकरार में बीत रहा साल, काम से ज्यादा विवादों में रह रहा नगर निगम, सफाई कर्मचारी तक पर होती है तकरार सहरसा . नगर निगम की कार्यकारिणी ,महापौर, उपमहापौर सहित स्थायी अधिकारी, बजट आदि की समुचित व्यवस्था होने के बाद भी लोग निगम की ओर टकटकी लगाये देख रहे हैं. जहां एक ओर निगम के बृहद आकार और बजट के अनुमान से आम वार्डवासी कुछ बेहतर होने की आशा कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर बद से बद्तर की ओर जा रही व्यवस्था से शहरवासियों में निराशा घर करने लगी है. विरोध में प्रदर्शन धरना और ज्ञापनों का दौर शुरू हो गया है. वर्ष 21-22 के वास्तविक बजट के अनुसार निगम का आंकड़ा यह प्रदर्शित करता है कि सीवरेज, ड्रेनेज, वाहन व मशीनरी पर निगम के लगभग दस करोड़ खर्च हो गये. वहीं बीते वर्ष 21-22 के आंकड़ों की तुलना वर्ष 2022-23 के चालू सत्र में लगभग यह व्यय दो गुना दिखाया गया है. मालूम हो कि नवगठित नगर निगम ने चालू वित्तीय वर्ष में राजस्व भुगतान और पूंजीगत भुगतान का लक्ष्य लगभग एक अरब से ऊपर का रखा गया था. गौरतलब बात है कि करोड़ों अरबों खर्च करने वाली नगर निगम स्वच्छता, साफ-सफाई और पब्लिक सुविधाएं मुहैया कराने में इतनी फिसड्डी क्यों हो गयी. सड़कों पर पूरी तरह लाइट नहीं लगी, बेशक यह लाइट किसी दूसरे एजेंसी द्वारा लगायी गयी, लेकिन इसकी देखरेख व भुगतान के लिए नगर निगम ही जिम्मेदार है. यही हालत कमोबेश नालों और सड़कों का है. नालों की कनेक्टिविटी नहीं है, वुडको और आरसीडी के अपने-अपने तरीके हैं और इन एजेंसियों का आपस में तालमेल नहीं है. जिससे सभी नाला अधुरा दिखता है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण कन्या उच्च विद्यालय का जल प्लावित कैंपस और टूटी दीवारें हैं. अतिक्रमण एक अलग मुद्दा है. शहर की अधिकांश सड़कें खस्ताहाल हो गयी है. लेकिन इधर निगम ने ध्यान नहीं दिया. सैकड़ों शिकायत निगम के पास लंबित है. लेकिन इसकी सुनवाई नहीं हुई है. सभी मामला निगम के संज्ञान में है. फिर भी लंबित रहना यह निगम वासियों के बीच असंतोष का कारण बन रहा है. गौरतलब बात यह है कि मात्र एक किलोमीटर के रेडिएशन में ऐसे कई उदाहरण देखने को मिल सकते हैं. यह निगम के कार्यालय के बिलकुल पास हैं. नाली, सड़क और जल निकासी के अतिरिक्त तालाबों के रखरखाव पर भी निगम फिसड्डी साबित हुआ है. आपको ज्ञात होगा कि वर्ष 2013-14 में जल निकासी का सर्वे किया गया. यह दस वर्ष बाद भी जल निकासी के लिए आधार बने हुए हैं. जबकि बेतरतीब निर्माण ने भौगौलिक परिवर्तन कर दिया है. जहां नये निर्माण हुए गलियों और सड़कों का निर्माण हुआ है. ऐसे में 10 वर्ष पुरानी सर्वे कितनी कारगर होगी. नगर निगम के वर्तमान पार्षदों ने मोहल्ला विकास के लिए कोई समिति बना कर विशेष कार्य चयनित नहीं किया. लेकिन उन्होंने अपने क्षेत्र के विकास के लिए सभी संभव सुझाव कमेटी में सबों के सामने रखा. यद्यपि पार्षद समयानुकूल जन समूहों की उपयोगिता को देखते हुए मोहल्ले के विकास करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह भी कहीं धरातल पर दिखाई नहीं देता है और निगम में चल रहे रार व तकरार की राजनीति पर सभी का ध्यान केंद्रित है. देखना यह है कि निगम छवि में सुधार कैसे कर पाती है. फोटो – सहरसा 06 – निगम कार्यालय फोटो – सहरसा 07 – कोशी रोड का हाल फोटो – सहरसा 08 – निगम के पास पंचवटी के पीछे का मोहल्ला

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