वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर शहर में एक तरफ विकास योजनाओं को रफ्तार पकड़ाने का दबाव है. नयी-नयी योजनाओं का चयन किया जा रहा है. पुराने लंबित योजनाओं को जल्द से जल्द पूरा कराने के लिए नगर सरकार से लेकर राज्य सरकार तक का दबाव है. दूसरी तरफ, इंजीनियरों की भारी कमी दिख रही है. शनिवार को जब निगम बोर्ड की मीटिंग में यह मुद्दा उठा. तब नगर आयुक्त नवीन कुमार भी इस बात को स्वीकार करते हुए कहा कि अधीक्षण अभियंता की स्थायी प्रतिनियुक्ति निगम में नहीं होने के कारण उन्हें कार्य कराने में परेशानी हो रही है. 25 लाख रुपये तक की योजना का टेंडर फाइनल करने का अधिकार कार्यपालक अभियंता के पास है. इससे ऊपर की योजनाओं की टेंडर अधीक्षक अभियंता फाइनल करते हैं, जिनका पद रिक्त है. इसलिए, उन्हें 25 लाख रुपये से अधिक की योजनाओं की टेंडर फाइनल करने के लिए फाइल पटना चीफ इंजीनियर के पास भेजना पड़ रहा है. इससे कार्य में विलंब होता है, जो भी टेंडर लंबित है. जल्द से जल्द सभी को पूर्ण करा लिया जायेगा. यही नहीं, निगम में अभी जो कार्यपालक अभियंता कार्य कर रहे हैं. इनके ऊपर दूसरे विभाग की भी जिम्मेदारी है. मूल पद के अलावा नगर निगम अतिरिक्त प्रभार में है. वहीं, इनका तबादला भी कर दिया गया है. एक अगस्त से कार्यपालक अभियंता का पद भी रिक्त हो जायेगा. अभी महज एक कनीय अभियंता मनोज बैठा कार्य कर रहे हैं. विभाग से इनका भी तबादला कर दिया गया है. उनकी जगह दूसरे किसी कनीय अभियंता की प्रतिनियुक्ति नहीं हुई है. इस कारण निगम अभी इन्हें मुक्त नहीं कर रहा है.
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