राकेश वर्मा, बेरमो : भारत की प्रथम बहुद्देशीय परियोजना दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) की मूलत: परिकल्पना अशांत दामोदर नदी को वशीभूत करने के उद्देश्य से सात जुलाई 1948 को की गयी थी. एक शताब्दी से भी अधिक समय तक नियमित रूप से इसमें बाढ़ आती रहती थी, जिससे पश्चिम बंगाल के कई हिस्से प्रभावित होते थे. इसके कारण इसे शोक नदी के रूप में जाना जाने लगा. बाढ़ जैसी विभिषिका से बचने के लिए इस नदी में यूएसए की टेनेसी वैली ऑथरिटी के तर्ज पर दामोदर घाटी निगम की स्थापना सात जुलाई 1948 को की गयी.
डीवीसी ने अपने स्थापना काल से ना सिर्फ देश को रोशन किया है, बल्कि इसका सीधा सरोकार सामाजिक कार्यों से है. सीएसआर के तहत इसने अपने कमांड एरिया में रहने वाले लोगों को सामाजिक व आर्थिक कल्याण करने के अलावा विकास के कई कार्य किये हैं. डीवीसी के उद्देश्यों में बाढ़ नियंत्रण, विद्युत उत्पादन, प्रेषण, वनीकरण आदि है. देश के पूर्वी क्षेत्र में इस प्रतिष्ठान ने पचास के दशक से अब तक बिजली उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है. कई उपलब्धियां हासिल की है. प्रतिस्पर्धा के दौर भी डीवीसी अपने अस्तित्व को बचाने व लगातार विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में आगे बढ़ने में कामयाब रही है. डीवीसी का ध्यान अब पूरी तरह से उत्पादन क्षमता बढ़ाने में लगा है. केंद्रीय उर्जा मंत्रालय के आदेश पर लगातार नयी परियोजनाओं पर कार्य हो रहा है.कोनार, मैथन, पंचेत हाइडेल सहित बोकारो थर्मल प्लांट का उद्घाटन करने आये थे पंडित नेहरू
डीवीसी की परिकल्पना देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने की थी. उनके प्रधानमंत्री रहते ही डीवीसी की सारी योजनाए बनी. वर्ष 1955 में कोनार, वर्ष 1957 में मैथन व वर्ष 1959 में पंचेत हाइडेल सहित बोकारो थर्मल प्लांट का उद्घाटन करने वह खुद यहां आये थे. चंद्रपुरा थर्मल की पहली व दूसरी नंबर यूनिट का उद्घाटन भी नेहरूकी 75वीं वर्षगांठ पर 14 नवंबर 1965 को तत्कालीन चेयरमैन टी शिवशंकर ने किया था. चंद्रपुरा की तीसरी यूनिट का उद्घाटन सात जुलाई 68 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हाथों हुआ था. चौथी व पांचवी नंबर यूनिट का उद्घाटन तीन मार्च 75 को ऊजा मंत्री केसी पंत और वर्ष 79 में छठी यूनिट का उद्घाटन बिहार के मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर ने किया था. बोकारो थर्मल में बने एशिया महादेश के पहले बहुद्देशीय पावर प्लांट का उद्घाटन पं नेहरू ने 21 फरवरी 1953 को किया था. इस प्लांट को यूएसए तथा वेस्ट जर्मनी के कोलेबरेशन से बनाया गया था. तीन यूनिट वाले इस प्लांट के एक नंबर यूनिट से 57.5 मेगावाट, दो नंबर यूनिट से 67.5 मेगावाट तथा तीन नंबर यूनिट से 57.5 मेगावाट विद्युत उत्पादन करने की क्षमता थी. बाद के वर्षों में चार नंबर यूनिट अस्तित्व में आयी थी, जिसकी उत्पादन क्षमता 75 मेगावाट थी. 17 जुलाई 2000 को किसी कारण (प्रदूषण नियंत्रण मानक को पूरा नही करने के कारण) से इस प्लांट को बंद कर दिया गया.प्लांट में बनने वाले भीति चित्र को लेकर नेहरू ने बढ़ायी थी उद्घाटन की तिथि
कहते हैं जब बोकारो थर्मल का ए प्लांट बन कर तैयार हुआ तो प्लांट में भीति चित्र का निर्माण समय पर पूरा नहीं हो पाया था, इसके कारण पं नेहरू ने प्लांट के उद्घाटन की तिथि बढ़ायी थी. बोकारो थर्मल निवासी व शांति निकेतन कोलकाता से जुड़ी प्रख्यात चित्रकार विनीता बंधोपाध्याय ने बताया कि शांति निकेतन कला भवन, कोलकाता के निदेशक रहे नंदलाल बोस ने ए प्लांट में भीति चित्र का ले-आउट तैयार किया था, जिसे सुरेंद्र नाथ कौर ने उकेरा था. ए प्लांट के पूरे भीति चित्र को पं नेहरू ने काफी सराहा था. भीति चित्र में एकीकृत बिहार-झारखंड की संस्कृति को दर्शाया गया था, वहीं एक पुरुष व महिला को टोकरी लिए हुए दिखाया गया था, जिसका अर्थ था कर्म ही पूजा है. इसके अलावा पांच महिलाओं का आकर्षक भीति चित्र बनायी गयी थी, जिसे पंच शखी कहा गया.
प्रमुख बातें:
भारत सरकार की प्रथम बहुद्देशीय नदी घाटी परियोजनाकोयला, पानी व गैस से बिजली बनाने वाला एकमात्र प्रतिष्ठान
विद्युत उत्पादन, प्रेषण, वितरण वाला पहला सरकारी प्रतिष्ठानमैथन हाइडेल में देश की पहली भूतलीय पनबिजली परियोजनाबोकरो थर्मल में 50 के दशक में बना वृहतम ताप विद्युत केंद्र
डीवीसी की परियोजनाओं के विद्युत उत्पादन पर नजर
मेजिया थर्मल प्लांट-2340 मेगावाटरघुनाथपुर थर्मल प्लांट 1200 मेगावाटदुर्गापुर स्टील थर्मल प्लांट 1000 मेगावाटकोडरमा थर्मल प्लांट 1000 मेगावाटचंद्रपुरा थर्मल प्लांट 500 मेगावाट
बोकारो थर्मल प्लांट 500 मेगावाटपंचेत हाईडेल 80 मेगावाट
मैथन हाईडेल 63.2 मेगावाटतिलैया हाईडेल 04 मेगावाटडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है