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भूजल स्तर की जांच करने के बाद करनी होगी बाेरिंग

बिहार में भूजल की जांच किये बिना कहीं भी जलापूर्ति योजना के लिए बोरिंग कर दी जाती है. इसको लेकर अब पीएचइडी ने जिलों को दिशा-निर्देश दिया है कि भूजल का स्तर जांच करें और उसके बाद बोरिंग करें, ताकि बोरिंग से आसपास की जलापूर्ति योजना प्रभावित नहीं हो.

– पीएचइडी ने सभी जिलों को भेजा निर्देश संवाददाता, पटना बिहार में भूजल की जांच किये बिना कहीं भी जलापूर्ति योजना के लिए बोरिंग कर दी जाती है. इसको लेकर अब पीएचइडी ने जिलों को दिशा-निर्देश दिया है कि भूजल का स्तर जांच करें और उसके बाद बोरिंग करें, ताकि बोरिंग से आसपास की जलापूर्ति योजना प्रभावित नहीं हो. विभागीय समीक्षा में खुलासा हुआ है कि जहां-तहां बोरिंग करने से अन्य योजनाएं प्रभावित होती हैं और गर्मी के मौसम में तेजी से भूजल का स्तर गिरने लगता है. इस कारण पानी की दिक्कत होती है. पिछले साल की तुलना में अप्रैल से लेकर जून तक भूजल का स्तर दो से 13 फुट तक नीचे चला गया है. वहीं, कई ऐसी पंचायतें हैं, जहां पानी का स्तर बहुत तेजी से नीचे जा रहा है. जहां लोगों को 30-40 फुट पर पानी मिल जाता था. वहां अप्रैल माह में ही 50 फुट तक जलस्तर चला गया है. 350 फुट से अधिक होती है बोरिंग हर घर नल का जल योजना के तहत होने वाली बोरिंग की गहराई 350 फुट से नीचे होती है. वहीं, अन्य योजनाओं में इतनी गहराई पर बोरिंग नहीं होती है. इस कारण से चापाकल पानी छोड़ देते हैं. विभाग ने निर्णय लिया है कि ऐसी सभी योजनाओं को हर घर नल का जल योजना से जोड़ा जाये और छोटी योजनाएं भी इसी योजना के तहत चलायी जायेंगी. इसके लिए पाइपलाइन विस्तार करने के लिए सर्वे का काम भी शुरू किया गया है. क्रिटिकल जोन में बोरिंग करने से पहले स्थल निरीक्षण और मिट्टी भी करें जांच विभागीय रिपोर्ट के मुताबिक भोजपुर एक, मुजफ्फरपुर एक, नालंदा एक, पटना तीन, वैशाली दो, शेखपुरा एक, समस्तीपुर एक ब्लॉक अति दोहर वाले क्षेत्र में घोषित किये गये हैं. यहां पर पानी की निकासी तेजी से हो रही है, लेकिन पानी वापस धरती में नहीं जा रही है. अधिकारियों के मुताबिक यहां पर भूजल का स्तर सबसे पहले खत्म होगा. क्रिटिकल जोन में जहानाबाद दो, मुजफ्फरपुर एक , नालंदा एक, पटना सदर एक, समस्तीपुर एक एवं वैशाली के दो ब्लॉक क्रटिकल जोन में है. जहां पर भूजल का स्तर तेजी से गिर रहा है. वहीं, 46 ब्लॉक ऐसे भी हैं,जो सेमी क्रिटिकल जोन में घोषित किये गये हैं. यहां भूजल की निकासी होती है, लेकिन जमीन में पानी को भेजने की प्रकिया 50 प्रतिशत से भी कम रहती है. इन ब्लॉक की समीक्षा नियमित हो रही है. यहां पर बोरिंग करने से पहले स्थल निरीक्षण और मिट्टी की जांच भी होगी.

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