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जमशेदपुर अक्षेस ने ठेका कंपनी को हटाया, स्थानीय समितियों के जिम्मे सार्वजनिक शौचालय की साफ-सफाई

जमशेदपुर अक्षेस ने सार्वजनिक शौचालयों की साफ-सफाई करने वाली ठेका कंपनी गायत्री इंटरप्राइजेज को हटा इसके संचालन की जिम्मेदारी स्थानीय समितियों और लोकल सुपरवाइजर को सौंपी है.

सार्वजनिक शौचालय बनाने में लाखों खर्च, उपयोग नहीं होने से लटक रहे ताले

जेएनएसी एरिया में कुल शौचालय – 77

मानगो नगर निगम क्षेत्र में कुल शौचालय – 15

जुगसलाई नगर परिषद में कुल शौचालय – 03

जमशेदपुर :

शहर में सार्वजनिक शौचालयों की संख्या साल दर साल बढ़ रही है, लेकिन इन शौचालयों की नियमित सफाई नहीं हो पा रही है. सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण आम जनता की सुविधा के लिए किया जाता है, लेकिन यह भी सच है कि शौचालय के रख-रखाव और संचालन सही तरीके से नहीं होने से सार्वजनिक शौचालय शो-पीस बनकर रह गये हैं. जमशेदपुर अक्षेस ने सार्वजनिक शौचालयों की साफ-सफाई करने वाली ठेका कंपनी गायत्री इंटरप्राइजेज को हटा इसके संचालन की जिम्मेदारी स्थानीय समितियों और लोकल सुपरवाइजर को सौंपी है. वहीं ठेका कंपनी का कहना है कि दो साल से ज्यादा समय से बिल का भुगतान जमशेदपुर अक्षेस ने नहीं किया है. जिसके कारण कार्य करने में समक्ष नहीं हैं.

सुलभ इंटरनेशनल को सौंपने की तैयारी

ठेका कंपनी को नियमित रख-रखाव के लिए जमशेदपुर अक्षेस से पांच हजार रुपये तय था. अब सुलभ इंटरनेशनल को शौचालय संचालन की जिम्मेदारी सौंपने की तैयारी चल रही है, लेकिन खर्च 19 हजार से ज्यादा होने से मामला लटक गया है.

क्या है स्थिति शौचालय की

मछुआ बस्ती जेम्को में शौचालय जर्जर अवस्था में है. गांधी आश्रम बर्मामाइंस में ज्यादातर समय बंद रहता है. जोजोबेड़ा चौक, मानगो पारडीह चेपा पुल के पास बना शौचालय बंद है. विवाद की वजह से टिनप्लेट चौक स्थित शौचालय शुरू नहीं हो सका है.

शहर के इन सार्वजनिक शौचालय में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

बेली बोधनवाला, शास्त्रीनगर ब्लॉक-4, सती घाट, सब स्टेशन घाट, सोनारी दुमुहानी, पांडेय घाट, सीतारामडेरा घाट, बागुनहातु, भोजपुर कॉलोनी, संडे मार्केट बिरसानगर, जोजोबेड़ा, मछुआ बस्ती मनीफीट, बर्मामाइंस, गांधी आश्रम.

कैसे करता है कार्य

रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के तहत वर्षा जल को छत या फिर विशेष रूप से बनाये गये क्षेत्र में इकट्ठा किया जाता है. इसमें दो तरह के गड्ढे किये गये हैं. एक गड्ढा जिसमें दैनिक उपयोग के लिए जल संचय किया जाता है. इसका निर्माण सीमेंट और ईंट से किया गया है. गड्ढे को पाइप द्वारा छत की नालियों व टोटियों से जोड़ दिया गया है, ताकि वर्षा का पानी सीधे इसमें पहुंच सके. दूसरे गड्ढे को कच्चा रखा गया है, ताकि बारिश का पानी भूमि के अंदर पुन: लौट जाये और भूगर्भ जल स्तर बना रहे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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