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केला की खेती से किसान होंगे समृद्ध, 100 हेक्टेयर में तीन किस्म के पौधे लगेंगे

जिले का नवगछिया अनुमंडल पहले से ही केलांचल के नाम से प्रसिद्ध है. यहां सिंगापुरी केले की खेती बड़े पैमाने पर होती है.

जिले का नवगछिया अनुमंडल पहले से ही केलांचल के नाम से प्रसिद्ध है. यहां सिंगापुरी केले की खेती बड़े पैमाने पर होती है. अब उद्यान विभाग की ओर से जिले के सभी प्रखंडों में केला की खेती कराने की तैयारी है. इस बार 100 हेक्टेयर तक खेती का लक्ष्य रखा गया है. उद्यान विभाग के सहायक निदेशक अभय कुमार मंडल ने बताया कि पहले यहां जी-9 केला की खेती विभाग स्तर से होती थी. इस बार चिनिया व मालभोग केला की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है, ताकि किसान अपनी आय दुगुनी कर सके. चिनिया व मालभोग केला अन्य स्थानी वेरायटी की तुलना महंगा बिकता है. उद्यान विभाग किसानों को प्रति हेक्टेयर 46875 रुपये तक अनुदान भी दे रहा है. इसमें 3086 पौधे लगाये जायेंगे. अब तक 277 किसानों का आवेदन आ चुका है. ऐसे में पहले आओ, पहले पाओ की तर्ज पर किसानों को योजना का लाभ मिलेगा.

खरीक के केला किसान नीरज जायसवाल ने बताया कि यहां पर केला व मक्का की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. यहां का केला कई राज्यों में पहुंचता है. यहां पर कई तरह के केले की खेती की जाती है. अब यहां किसान नयी वेराइटी के केले की खेती करेंगे. इससे अधिक से अधिक मुनाफा होगा.

केरल की तरह भागलपुर में उत्पादन होगा केला

नवगछिया अनुमंडल में केरल की तर्ज पर केला का उत्पादन किया जायेगा. यह केला लाल व भूरा रंग का होगा. इस तरह के केला का पौधा तैयार किया जा रहा है. सुल्तानगंज स्थित मधुबन में मेंगोमेन अशोक चौधरी पौधे तैयार कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि नवगछिया में पारंपरिक केला सिंगापुरी की खेती होती थी, लेकिन अब लाल-भूरा केला की खेती को बढ़ावा मिलेगा. सरकार व विभाग का सहयोग मिल रहा है.

कोट:-

केला उत्पादक किसानों के लिए कावेन्डीश, मालभोग, चिनिया, जी-9 केला के प्रभेदों को लगाने का समय जून-जुलाई एवं सितम्बर-अक्टूबर माह उपर्युक्त है. केला का प्रवर्धन सकर या प्रकन्द व ऊतक संवर्धन (टिशु कल्चर) विधि से केले की उन्नत प्रजातियों के पौधे तैयार किये जाते हैं. केला की खेती से किसानों की आय दोगुनी हो सकती है.

अभय कुमार मंडल, सहायक निदेशक, उद्यान विभाग

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