Rahul Gandhi Manipur Visit: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी मणिपुर दौरे पर हैं. अपने दौरे में राहुल गांधी हिंसा पीड़ितों से मिले. इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला. राहुल गांधी ने कहा कि मणिपुर में हालात बेहद खराब है. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी को यहां आना चाहिए था. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी मणिपुर आएं और लोगों को भरोसा दें. अपने दौरे में राहुल गांधी ने पीड़ित लोगों की समस्याएं सुनीं. मणिपुर में कांग्रेस दोनों लोकसभा सीट पर जीत के बाद राहुल गांधी का यह पहला मणिपुर दौरा है. बता दें, अब तक राहुल गांधी तीन बार मणिपुर का दौरा कर चुके हैं. पिछले साल तीन मई को जातीय हिंसा भड़कने के कुछ समय बाद उन्होंने प्रदेश का दौरा किया था. इसके बाद जनवरी 2024 में उन्होंने मणिपुर से ही भारत जोड़ो न्याय यात्रा भी शुरू की थी. अब जुलाई महीने में राहुल गांधी यहां दौरे पर आएं हैं.
पीएम मोदी को आना चाहिए मणिपुर- राहुल गांधी
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि यह काफी अहम है कि हिंसा ग्रस्त मणिपुर में प्रधानमंत्री मोदी को आना चाहिए. वो मणिपुर के लोगों की बात सुनें, कोशिश करें और समझें कि मणिपुर में क्या चल रहा है. मणिपुर को भारतीय संघ का एक गौरवशाली राज्य बताते हुए राहुल ने कहा कि अगर कोई त्रासदी नहीं थी, तो भी प्रधानमंत्री को इस बड़ी त्रासदी में मणिपुर आना चाहिए था. उन्होंने कहा कि मैं प्रधानमंत्री से अनुरोध करता हूं कि वह अपना 1 से 2 दिन का समय लें और आएं और सुनें इससे मणिपुर के लोगों को सांत्वना मिलेगी.
राहुल गांधी ने की मीडिया से बात
अपने दौरे में सोमवार को राहुल गांधी ने मीडिया से भी बात की. प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद पत्रकारों के सवाल पर राहुल गांधी ने कहा कि कृपया मैं जो कह रहा हूं उसका सम्मान करें. उन्होंने कहा कि मैं यहां एक स्पष्ट संदेश देने आया हूं, राहुल गांधी ने कहा कि मैं मुद्दों से भटकाने वाले सवालों के जवाब देने यहां नहीं आया हूं.
राहत शिविरों का राहुल गांधी ने किया दौरा
बता दें, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को मणिपुर के जिरीबाम और चुराचांदपुर जिलों में राहत शिविरों का दौरा किया और वहां रह रहे लोगों से बातचीत की. बीते साल मई महीने में प्रदेश में दो समुदाय मेइती और कुकी के बीच जातीय हिंसा शुरू हुई थी. हिंसा में 200 से अधिक लोगों की मौत हुई है. लाखों लोग राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं.
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