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खनुआ नाला निर्माण में गड़बड़ी की जांच शुरू

छपरा शहर में चल रहे ऐतिहासिक खनुआ नाला निर्माण में गड़बड़ी की बू आने लगी है. लंबे समय से चल रही इस परियोजना का कार्य समय पर पूरा नहीं किया गया है. अनुमान से अधिक राशि खर्च की जा रही है. निर्माण कार्यों में नियमों को भी ताक पर रखा जा रहा है. इन तमाम बातों का खुलासा जिलाधिकारी अमन समीर के आदेश पर अचानक बुडको कार्यालय में जांच करने पहुंची नगर आयुक्त और उनकी टीम के सामने हो गया.

छपरा शहर में चल रहे ऐतिहासिक खनुआ नाला निर्माण में गड़बड़ी की बू आने लगी है. लंबे समय से चल रही इस परियोजना का कार्य समय पर पूरा नहीं किया गया है. अनुमान से अधिक राशि खर्च की जा रही है. निर्माण कार्यों में नियमों को भी ताक पर रखा जा रहा है. इन तमाम बातों का खुलासा जिलाधिकारी अमन समीर के आदेश पर अचानक बुडको कार्यालय में जांच करने पहुंची नगर आयुक्त और उनकी टीम के सामने हो गया. फिलहाल सभी कागजातों की जांच चल रही है. जांच के बाद रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप दी जायेगी. जांच का पहला बिंदु यह रहा कि आखिर लगभग पांच सालों से चल रहे इस निर्माण कार्य को पूरा करने की अवधि के लिए डेट पर डेट क्यों लिया जा रहा है. कहीं इसमें कोई खेल तो नहीं हो रहा है. क्योंकि, पहले इस पूरे नाले के निर्माण पर लगभग 30 करोड़ रुपये खर्च बताये गये थे और उतना आवंटन प्राप्त भी हो गया था. लेकिन, कार्य में वेरिएशन दिखाकर एक बार फिर 20 करोड़ से अधिक की राशि की डिमांड कर दी गयी. ऐसे में यह कई तरह के शक को पैदा करता है. बार-बार डेट बढ़ाकर निर्माण कार्य के लिए तय राशि से अधिक राशि लेने के लिए वेरिएशन का तो खेल नहीं चल रहा है. अचानक अधिकारियों की जब टीम नगर आयुक्त सुमित कुमार के नेतृत्व में बुडको कार्यालय में पहुंची तो कार्यालय में ना तो परियोजना निदेशक थे और ना ही उप परियोजना निदेशक उपस्थित थे. वहां उपस्थित एजेंसी के कर्मचारियों से अधिकारियों ने पूछताछ की और कागजात मांगे, लेकिन कागजात देखने के बाद नगर आयुक्त और उनकी टीम संतुष्ट नहीं हुई. जांच टीम के अनुसार जिलाधिकारी ने पूरी योजना की विस्तृत जांच करने का आदेश दिया है. ऐसे में शुरू से लेकर अभी तक की स्थिति की जांच होगी. काम कैसे शुरू हुआ, कितना आवंटन मांगा गया, कब-कब काम बंद किया गया, किन कारणों से बंद किया गया, नाला निर्माण में कहां-कहां अनियमितता बरती गयी है. एंट्री ढक्कन बनाने की जगह उसमें कई ट्रैक्टर मिट्टी भरकर रास्ता बंद करने के तरीकों पर भी सवाल उठा है. आवंटन में प्राप्त हुई राशि किस-किस मद में खर्च हुई है. कहां कब भुगतान किया गया है के अलावा कागजातों से जुड़े सभी बिंदुओं पर भी जांच होगी. जांच टीम में नगर आयुक्त के अलावा आरसीडी के कार्यपालक पदाधिकारी, नगर विकास विभाग के प्रमंडल-1 के पदाधिकारी, नगर निगम के सहायक अभियंता और कनीय अभियंता शामिल थे.

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