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बेहतर भविष्य के लिए पर्यावरण की रक्षा को ‘छोटे’ और ‘स्थानीय’ स्तर पर कदम उठायें : राष्ट्रपति

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू चार दिन की ओडिशा यात्रा पर हैं. सोमवार को उन्होंने समुद्र तट पर समय बिताया. इस दौरान उन्होंने पर्यावरण की रक्षा के लिए कदम उठाने का आह्वान लोगों से किया.

पुरी. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश में हाल में भीषण गर्मी पड़ने और दुनिया भर में मौसम के चरम पर रहने की लगातार हो रही घटनाओं पर प्रकाश डालते हुए लोगों से पर्यावरण की रक्षा के लिए ‘छोटे’ और ‘स्थानीय’ स्तर पर कदम उठाने का सोमवार को आग्रह किया, ताकि भविष्य को बेहतर बनाया जा सके. राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि वार्षिक रथयात्रा में शामिल होने के एक दिन बाद मुर्मू ने पवित्र शहर पुरी के समुद्र तट पर कुछ समय बिताया. उन्होंने बाद में प्रकृति के साथ निकटता के अनुभव के बारे में अपने विचार लिखे. मुर्मू ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा कि प्रदूषण के कारण महासागरों और वनस्पतियों एवं जीवों की समृद्ध विविधता को भारी नुकसान हुआ है, लेकिन प्रकृति की गोद में रहने वाले लोगों ने उन परंपराओं को कायम रखा है जो हमारा मार्गदर्शन कर सकती हैं.

पहाड़, जंगल, नदियां और समुद्र तट हमारे भीतर की किसी गहरी चीज को आकर्षित करते हैं

राष्ट्रपति ने पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण के उपाय सुझाते हुए कहा कि उदाहरण के लिए, तटीय इलाकों में रहने वाले लोग समुद्र की लहरों और हवाओं की भाषा समझते हैं. वे अपने पूर्वजों का अनुसरण करते हुए समुद्र को भगवान के रूप में पूजते हैं. राष्ट्रपति छह जुलाई को चार दिवसीय दौरे पर ओडिशा आयी हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे स्थान हैं, जो हमें जीवन के तत्व के करीब लाते हैं और हमें याद दिलाते हैं कि हम प्रकृति का हिस्सा हैं. पहाड़, जंगल, नदियां और समुद्र तट हमारे भीतर की किसी गहरी चीज को आकर्षित करते हैं. मैं आज जब समुद्र के किनारे टहल रही थी, तो मुझे आसपास के वातावरण, हल्के-हल्के बहती हवा, लहरों के शोर और पानी के विशाल विस्तार के साथ एक जुड़ाव महसूस हुआ. यह ध्यान करने जैसा अनुभव था. मुर्मू ने कहा कि इससे मुझे ‘गहन आंतरिक शांति’ मिली, जो मुझे कल महाप्रभु श्री जगन्नाथजी के दर्शन करने पर भी महसूस हुई थी, और मैं अकेली नहीं हूं जिसे ऐसा एहसास हुआ है. जब हम किसी ऐसी चीज से रूबरू होते हैं, जो हमसे बहुत विशाल हो, जो हमारे जीवन को बरकरार रखने में मदद करे और जो हमारे जीवन को अर्थपूर्ण बनायें, तो हम सब इसी तरह महसूस कर सकते हैं.

अल्पकालिक लाभों के लिए प्रकृति का दोहन कर रहा मनुष्य

राष्ट्रपति ने समुद्र तट पर टहलते हुए अपनी तस्वीरें साझा कीं तथा कहा कि रोजमर्रा की भागदौड़ में लोग प्रकृति के साथ अपना संबंध खो देते हैं. मुर्मू ने कहा कि मानव जाति का मानना है कि उसने प्रकृति पर कब्जा कर लिया है और वह अपने अल्पकालिक लाभों के लिए इसका दोहन कर रही है. इसका नतीजा सबके सामने है. इस गर्मी में भारत के कई हिस्सों को भीषण लू का सामना करना पड़ा. हाल के वर्षों में दुनिया भर में मौसम के चरम पर रहने की घटनाएं अधिक हो गयी हैं. आने वाले दशकों में स्थिति और भी बदतर होने की आशंका है. उन्होंने कहा कि पृथ्वी की सतह का 70 प्रतिशत से अधिक हिस्सा महासागरों से बना है और ‘ग्लोबल वार्मिंग’ के कारण समुद्र का स्तर बढ़ रहा है, जिससे तटीय क्षेत्रों के डूबने का खतरा है. राष्ट्रपति ने कहा कि पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण की चुनौती से निपटने के दो तरीके हैं. उन्होंने कहा कि सरकारें और अंतरराष्ट्रीय संगठन व्यापक कदम उठा सकते हैं और नागरिकों के रूप में हम छोटे एवं स्थानीय कदम उठा सकते हैं. मुर्मू ने कहा कि निस्संदेह, दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं. बेहतर कल के लिए व्यक्तिगत रूप से, स्थानीय स्तर पर हम जो कुछ भी कर सकते हैं, आइए, उसे करने का संकल्प लें. अपने बच्चों के लिए ऐसा करना हमारी जिम्मेदारी है.

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