प्रमुख संवाददाता, जमशेदपुर
उद्योग व व्यवसाय जगत से जुड़े उद्यमियों व व्यवसायियों को उम्मीद है कि 23 जुलाई को लगातार सातवीं बार जब बजट पेश होगी, तो यह आम लोगों पर कर बोझ को कम करने, पूंजीगत व्यय जारी रखने और खाद्य वस्तुओं की महंगाई को काबू में लाने के लिए उपाय करने वाला साबित होगा. उद्योग-व्यापार से जुड़े संगठनों ने सरकार से आर्थिक वृद्धि की गति बनाये रखने के लिए बुनियादी ढांचे के विकास पर अधिक ध्यान केंद्रित करने का भी आग्रह किया. सिंहभूम चेंबर ऑफ कॉमर्स ने वित्त मंत्री को कई सुझाव लिखित रूप से भेजे हैं. उम्मीद जतायी है कि यदि इन पर अमल किया जाता है, तो राजस्व वृद्धि के साथ-साथ सुगम व्यवसाय होगा.——–घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने, मेक इन इंडिया अभियान का समर्थन, एमएसएमइ को सशक्त बनाना, आयात-निर्भर क्षेत्रों के कानूनों में स्थिरता लाने, कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) का विस्तार करने व प्रत्यक्ष कर मुकदमेबाजी के तहत दबाव वाले मुद्दे को घटाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण सुझाव वित्तमंत्री को लिखित रूप से भेजे हैं. चीन से आयात की जाने वाली वस्तुओं के लिए स्वदेशी विनिर्माण के लिए प्रोत्साहन की शुरूआत न केवल घटिया गुणवत्ता वाले आयात को कम करने के लिए बल्कि हमारे घरेलू उद्योगों को भी बढ़ावा मिलेगा.
विजय आनंद मूनका
अध्यक्ष, सिंहभूम चेंबर ऑफ कॉमर्स
———–उद्योग जगत ने भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ और रोजगार के लिहाज से महत्वपूर्ण माने जाने वाले एमएसएमइ (सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम) क्षेत्र को बढ़ावा मिलना चाहिए. आय स्लैब के निचले स्तर पर आयकर के मोर्चे पर राहत, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन जैसी रोजगार प्रोत्साहन योजनाओं को दुरुस्त करने और कारोबार सुगमता को बढ़ावा मिलना चाहिए.अशोक भालोटिया, उद्यमी
—————-सरकार डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स पर अहम फैसले ले सकती है. आम जनता लंबे समय से टैक्स छूट की उम्मीद लगाये बैठी है. ऐसे में इस बार स्टैंडर्ड डिडक्शन की छूट की सीमा 50 हजार रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये करने की मांग की जा रही है.
शिबू बर्मन, चेयरमैनबिल्डर एसोसिएशन ऑफ इंडिया, झारखंड
———-बेसिक टैक्स छूट लिमिट को बढ़ाकर पांच लाख रुपये किया जाना चाहिए. यह फैसला लाखों टैक्सपेयर्स के लिए किसी बड़ी राहत से कम नहीं है. टैक्स पॉलिसी में महत्वपूर्ण बदलाव लाने की तैयारी हो रही है. अब सबकी निगाहें बजट 2024 पर टिकी हैं, जिसमें यह बड़ा ऐलान हो सकता है. बेसिक टैक्स छूट लिमिट वह सीमा है, जिसके तहत किसी व्यक्ति को कोई इनकम टैक्स नहीं देना पड़ता. मौजूदा समय में ओल्ड टैक्स रिजीम में ये सीमा 2.5 लाख रुपये है. वहीं, न्यू टैक्स रिजीम में ये सीमा 3 लाख रुपये है. बजट 2024 में ओल्ड और न्यू टैक्स रिजीम में इसे बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया जाता है, लेकिन इसका सबसे बड़ा फायदा ओल्ड टैक्स रिजीम वाले टैक्स पेयर्स को मिलेगा.
अधिवक्ता राजीव अग्रवाल
उपाध्यक्ष, सिंहभूम चेंबर ऑफ कॉमर्स
——–कॉरपोरेट टैक्स को कम करने, टैक्स एक्जेंप्स को स्टेप वाइज खत्म करने और आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए टैक्स बेस को व्यापक बनाया जाना चाहिए. कंप्लायंस में सुधार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए टैक्स सिस्टम को युक्तिसंगत और सरल बनाना चाहिए. टैक्स सिस्टम को अधिक कुशल और न्यायसंगत बनाने के लिए कॉरपोरेट टैक्स रेट्स को कम करने, कर छूट को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने और टैक्स बेस को व्यापक बनाने जैसे उपायों पर विचार करना चाहिए.
अधिवक्ता मानव केडिया
सेंट्रल व स्टेट जीएसटी
———जब कोई रियल एस्टेट कंपनी स्टांप ड्यूटी मूल्यांकन से कम कीमत पर संपत्ति बेचता है, तो अंतर (5 प्रतिशत मार्जिन के साथ) कंपनी के लिए धारा 43 सीए के अंतर्गत तथा क्रेता के लिए धारा 56 (2) (एक्स) के अंतर्गत कर योग्य होना चाहिए. विक्रेता और क्रेता दोनों को काल्पनिक आय (उचित बाजार मूल्य/स्टांप ड्यूटी मूल्यांकन और वास्तविक बिक्री मूल्य के बीच का अंतर) पर कर लगाया जाता है, जिससे समान राशि पर दोहरा कराधान होता है.
सीए राजेश कुमारB
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