उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर रसोइया को न्यूनतम मानदेय दस हजार देने, चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों का दर्जा देने, एनजीओ को मध्याह्न भोजना योजना से अलग करने और स्वास्थ्य और दुर्घटना बीमा की सुविधा देने सहित कई मांगों को लेकर मंगलवार को बिहार राज्य विद्यालय रसोइया संघ ने क्लेक्ट्रेट में प्रदर्शन किया. वक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार और बिहार सरकार दोनों रसोइयों के प्रति बिल्कुल असंवेदनशील हैं. केंद्र सरकार ने वर्तमान बजट में रसोइयों के लिए कोई प्रावधान नहीं किया और न ही बिहार सरकार ने वायदे के मुताबिक मानदेय में वृद्धि की गयी. न्यूनतम मजदूरी से भी बहुत कम महज 1650 रुपये मानदेय पर उनसे काम कराया जा रहा है, जो दूसरे राज्यों की तुलना में बहुत कम है. समाज के सबसे कमजोर वर्ग के लोग ही मुख्य रूप से रसोइया के रूप में काम कर रहे हैं. अति पिछड़े, महादलितों और महिलाओं की बात करने वाली सरकार सिर्फ झूठी घोषणाएं कर रही हैं. इसके बाद रसाइया संघ के प्रतिनिधिमंडल ने डीएम से मिलकर मांग पत्र सौंपा. धरना को भाकपा वाले नेता शत्रुघ्न सहनी, एक्टू के जिला सचिव मनोज कुमार यादव, रसोइया संघ के जिला सचिव परशुराम पाठक के अलावा संजय दास, राजू यादव, लक्ष्मेश्वर सहनी, गीता देवी, सुनैना देवी, पूनम देवी, अनारसी देवी, कोमल देवी, संजय दास, पवन सिंह, रामबाबू साह सहित अन्य लोगों ने संबोधित किया.
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