आसनसोल.
काजी नजरुल विश्वविद्यालय (केएनयू) में तृणमूल छात्र परिषद (टीएमसीपी) का आंदोलन दूसरे दिन भी जारी रहा. सोमवार को कुलपति (वीसी) डॉ देबाशीष बंद्योपाध्याय के कार्यालय में ताला जड़ कर दिनभर आंदोलन चला. यह ताला अभी खुला नहीं कि मंगलवार को आंदोलन करते हुए टीएमसीपी के सदस्यों ने रजिस्ट्रार डॉ चंदन कोनार के कार्यालय में भी ताला जड़ दिया और दिनभर केएनयू मेन गेट पर आंदोलन जारी रखा. आंदोलन समाप्त करने की दिशा में कहीं से कोई पहल नहीं हुई. कुलपति (वीसी) और कुलसचिव (रजिस्ट्रार) दोनों छुट्टी पर हैं. बुधवार को दोनों के विश्वविद्यालय में आने की संभावना है, जिसके मद्देनजर बुधवार को विश्वविद्यालय में तनाव का माहौल बन सकता है. टीएमसीपी के जिलाध्यक्ष अभिनव मुखर्जी ने कहा कि कुलपति को पदत्याग, छात्रों के फीस से जमा विश्वविद्यालय के फंड का जितना उपयोग अदालती कार्रवाई पर व्यव हुआ है उसे वापस लाना, तीन साल का लॉ कोर्स आरंभ करना, लॉ का सेमेस्टर फीस 20 हजार से कम करके दस हजार करना, विश्वविद्यालय के बस को फिर चालू करना, छात्रों को बेहतर शिक्षा का माहौल देना आदि मुद्दों को लेकर आंदोलन किया जा रहा है, जब तक इन मुद्दों पर कोई ठोस निर्णय नहीं होता है, तब तक आंदोलन जारी रहेगा. गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में केएनयू राजनीति का अखाड़ा बन गया है. पूर्व कुलपति डॉ साधन चक्रवर्ती के समय से जो आंदोलन का दौर शुरू हुआ है, वो अब तक बरकरार है. सोमवार को टीएमसीपी के बैनर तले छात्र-छात्राओं ने कुलपति के कार्यालय में ताला जड़ कर वहां धरने पर बैठ कर आंदोलन शुरू किया. यह आंदोलन सुबह 11:00 बजे से शाम के 5:00 बजे तक चला और मंगलवार दोपहर 12:00 बजे से शुरू हुआ और वीसी कार्यालय के साथ रजिस्ट्रार के कार्यालय में भी ताला जड़ दिया गया और शाम 5:00 बजे तक आंदोलन चलता रहा. बुधवार को भी यह आंदोलन चलने की बात टीएमसीपी जिलाध्यक्ष अभिनव मुखर्जी ने कही. मालूम रहे कि इससे पहले भ्रष्टाचार व धांधली के मुद्दे को लेकर पूर्व कुलपति डॉ साधन चक्रवर्ती के खिलाफ 67 दिनों तक आंदोलन चला था. उन्हें कार्यालय में आने ही नहीं दिया गया. मामला उच्च न्यायालय में गया. आखिरकार कुलपति को यहां से हटना पड़ा. कई दिनों तक उच्च न्यायालय में मामला चला था. विश्वविद्यालय व कॉलेज के अधिकतर प्रोफेसरों ने आंदोलन शुरू किया, जिससे बाद में छात्र-छात्राएं भी जुड़ गये. आखिरकार कुलपति को यहां से हटाया गया और राज्यपाल ने नये वीसी की नियुक्ति जून 2023 में डॉ बंद्योपाध्याय के रूप में की, जिस पर राज्य सरकार को एतराज था. इसे लेकर छात्रों के साथ समय-समय पर कुलपति का टकराव होता रहा. इस बार भी टीएमसीपी नेता अड़े हैं कि कुलपति को यहां घुसने नहीं देंगे. इस बीच, मंगलवार को विश्वविद्यालय के कुलपति ने अपना इस्तीफा दे दिया, हालांकि यह इस्तीफा राजभवन ने स्वीकार नहीं किया है. अभिनव मुखर्जी ने कहा कि विश्वविद्यालय के अनेक मुद्दों को लेकर उच्च न्यायालय में मामले चल रहे है. जिसका खर्च विश्वविद्यालय के फंड से ही दिया जा रहा है. यह राशि 50 लाख रुपये से अधिक हो गयी है. विश्वविद्यालय में जिनके खिलाफ जो मामले चल रहे हैं, उसका सारा खर्च उसी को देना होगा और जिसके मामले पर जितना खर्च हुआ है, वो पैसा उन्हीं से वसूल करके विश्वविद्यालय फंड में जमा करना होगा. छात्रों की फीस के रुपये विश्वविद्यालय के सामूहिक विकास पर खर्च करने के बजाय अदालती कार्रवाई पर खर्च करना बंद करना होगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है