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तीखी धूप व उमस भरी गर्मी ने किया परेशान

मॉनसून के सक्रिय होने के चलते एक सप्ताह से मौसम सुहाना बना हुआ था. बारिश होने व बादल छाने से लोगों को उमसभरी गर्मी से राहत मिली थी. मंगलवार से फिर तीखी धूप और उमस भरी गर्मी परेशान करने लगी है. जून में औसत से कम बारिश होने से लोग उमस भरी गर्मी से परेशान थे.

सीवान. मॉनसून के सक्रिय होने के चलते एक सप्ताह से मौसम सुहाना बना हुआ था. बारिश होने व बादल छाने से लोगों को उमसभरी गर्मी से राहत मिली थी. मंगलवार से फिर तीखी धूप और उमस भरी गर्मी परेशान करने लगी है. जून में औसत से कम बारिश होने से लोग उमस भरी गर्मी से परेशान थे. दो जुलाई को मौसम ने करवट बदली और बादल छाने के साथ बारिश होने से मौसम खुशनुमा हो गया. यह आलम आठ जुलाई की सुबह तक बना रहा. मंगलवार की सुबह से ही तीखी धूप निकलने से गर्मी सताने लगी. दिन चढ़ने के साथ ही सूरज की तपिश बढ़ने लगी. उमस भरी गर्मी लोगों को परेशान करने लगी. इस दौरान दिन का अधिकतम तापमान 33 व न्यूनतम तापमान 28 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है. हवा की रफ्तार 10 किमी प्रति घंटा रही. इस दौरान आर्द्रता 91 फीसदी रही. हवा में गर्म वाष्प की मात्रा बढ़ने से लोगों को 39 डिग्री जैसी गर्मी का अहसास हुआ. लोग पसीने से तरबतर दिखे. मौसम विभाग के अनुसार जुलाई में बारिश का सिलसिला जारी रहेगा. कहीं पर तेज तो कहीं पर मध्यम स्तर की बारिश होगी. बारिश से मौसम में आया था बदलाव एक सप्ताह से बारिश होने और बादलों के छाए रहने से मौसम राहत भरा बना हुआ था. मंगलवार को अचानक मौसम में परिवर्तन हुआ. धूप सुबह ही निकलने लगी थी. आसमान में दिख रहे कुछ बादल भी जल्द छंट गए. चिलचिलाती धूप लोगों को परेशान कर रही थी. हालांकि तापमान कम होने से उनमें पहले जैसे असर नहीं दिख रहा था. तेज धूप के चलते लोग बाजारों में भी कम दिख रहे थे. मौसम विशेषज्ञ डॉ मनोज कुमार गिरी का कहना है कि उमस भरी गर्मी से राहत नहीं मिलने वाली है. तापमान में बढ़ोतरी नहीं होगी. धीमी रफ्तार से पुरवा हवा चलेगी. आर्द्रता अधिक होने के चलते गर्मी लोगों को परेशान करेगी. बारिश होते ही बढ़ा बीमारियों का खतरा बारिश के मौसम शुरू होते ही तरह-तरह की बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या अस्पतालों में बढ़ने लगी है. इस मौसम में डायरिया, टाइफाइड, वायरल फीवर व मलेरिय सबसे ज्यादा और तेजी से फैलता है. डॉ संजय गिरी ने बताया कि टाइफाइड व डायरिया खराब खाने-पीने से होता है. इसमें उल्टी-दस्त की समस्या भी रहती है. कुछ बैक्टीरिया वायरल फीवर का कारण भी बन जाते हैं. खान-पान व रहने की बेहतर व्यवस्था के बदौलत बीमारियों से बचा जा सकता है. इस मौसम में हर उम्र के लोगों को थोड़ी सी असावधानी होने पर बीमारी अपने चपेट में ले लेती है. सावधान रहने की जरूरत है. इस मौसम में चिकेनगुनिया, डेंगू, मलेरिया के साथ बच्चों में जेइ-एइएस का खतरा अधिक बढ़ जाता है. लोगों को हर स्तर से सावधान रहने की जरूरत है. मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों से बचाव के लिए कहीं भी पानी जमा नहीं होने दें. इस मौसम में जितना हो सके पानी उबाल कर ही पीना जरूरी है.सोते वक्त मच्छरदानी का इस्तेमाल करें. धान की खेती में लगे किसान जिले में मॉनसून की सक्रियता बढ़ने से किसानों के हौसले बुलंद है. किसान धान की खेती करने में जुट गए है.जिन किसानों ने रोहिणी व मृगशिरा नक्षत्र में धान की नर्सरी गिराए थे,वे रोपनी कर रहे है. किसान मैनेजर भगत ने बताया कि हर साल रोहण नक्षत्र शुरू होते ही एक जून को खेतों में धान का बिचड़ा गिरा देते हैं और प्रत्येक वर्ष जुलाई के प्रथम सप्ताह में धान की रोपनी आरंभ कर देते है. बारिश नहीं होने के कारण बिचड़ा को बचाने और रोपनी के लिए खेतों को तैयार करने के लिए पंपिंग सेट का सहारा लेना पड़ता है. मालूम हो कि भीषण गर्मी, धूप और समय पर वर्षा नहीं होने के कारण जिले के अधिकतर किसान अभी धान के खेतों को तैयार नहीं कर सके हैं. कुछ किसान अभी अपने खेतों में बिचड़ा ही डाल रहे हैं.

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