11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

दो नये विधायकों की विस में भागीदारी पर संशय

पश्चिम बंगाल विधानसभा अध्यक्ष द्वारा पिछले सप्ताह तृणमूल कांग्रेस के दो नव-निर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाने के बावजूद उनके सदन की कार्यवाही में भागीदारी को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है.

राज्यपाल की मंजूरी के बिना सदन की कार्यवाही में भाग लेने पर दंड का है प्रावधानराज्यपाल ने शपथ ग्रहण को असंवैधानिक बताया है मामला राष्ट्रपति के पास है विचाराधीन संवाददाता, कोलकाता पश्चिम बंगाल विधानसभा अध्यक्ष द्वारा पिछले सप्ताह तृणमूल कांग्रेस के दो नव-निर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाने के बावजूद उनके सदन की कार्यवाही में भागीदारी को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है. बरानगर से जीत दर्ज करनेवाली सायंतिका बनर्जी और भगवानगोला से विजयी उम्मीदवार रेयात हुसैन सरकार ने विधायक पद की शपथ तो ले ली है, लेकिन राज्यपाल ने इसे संविधान के खिलाफ बताया है. क्योंकि उन्होंने विधानसभा के उपाध्यक्ष आशीष बनर्जी को शपथ ग्रहण के लिए मनोनीत किया था, जबकि उनकी जगह पर अध्यक्ष विमान बनर्जी ने उन्हें शपथ दिलायी है. इसके खिलाफ राज्यपाल ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर कहा है कि यह संविधान का उल्लंघन है. कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि राज्यपाल की मंजूरी के बिना विधानसभा में उनकी भागीदारी या बैठने को लेकर संविधान में एक प्रावधान है, जो एक आर्थिक दंड से जुड़ा हुआ है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 193 के अनुसार, राज्यपाल को प्रतिदिन 500 रुपये के आर्थिक दंड लगाने का अधिकार है. हाइकोर्ट के वकील सुनील राय ने कहा कि अनुच्छेद 193 के अनुसार, “यदि कोई व्यक्ति अनुच्छेद 188 के प्रावधानों का पालन करने से पहले या यह जानते हुए कि वह अयोग्य है या संसद या राज्य विधानसभा के किसी कानून द्वारा ऐसा करने से निषिद्ध है, विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य के रूप में बैठता या मतदान करता है, तो उस प्रत्येक दिन के लिए उस पर पांच सौ रुपये का दंड लगाया जायेगा, जिसे राज्य के प्रति देय ऋण के रूप में वसूला जायेगा.” कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, विधानसभा अध्यक्ष विमान बनर्जी ने ‘नियमावली’ के अध्याय-2 की धारा पांच के प्रावधानों के तहत सदन के एक दिवसीय विशेष सत्र में नये विधायकों को शपथ दिलायी थी. हालांकि, यह संदेहास्पद है कि वह आने वाले दिनों में दोनों विधायकों को सदन की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति किस हद तक दे पायेंगे. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भले ही कार्यवाही में भागीदारी के प्रत्येक दिन के लिए 500 रुपये का जुर्माना मामूली राशि हो, लेकिन यह मामला विधायकों और उनकी पार्टी के लिए शर्मिंदगी का कारण बन रहा है. यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों विधायक और उनकी पार्टी इस आर्थिक दंड और कानूनी अड़चन का सामना कैसे करते हैं. अब यह गतिरोध कब तक जारी रहेगा, यह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के कार्यालय पर निर्भर करेगा, जहां राज्यपाल और अध्यक्ष दोनों ने इस मामले में अपने-अपने पत्र भेजे हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें