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58 साल बीत जाने के बाद भी केएसएस कॉलेज को नहीं हो सका अपना भवन नसीब

58 वर्ष से अधिक बीत जाने के बाद भी कॉलेज को भवन तक नसीब नहीं हुआ है. जिसके कारण छात्र-छात्राओं को परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

लखीसराय. 58 वर्ष से अधिक बीत जाने के बाद भी कॉलेज को भवन तक नसीब नहीं हुआ है. जिसके कारण छात्र-छात्राओं को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हालांकि कॉलेज के एक तरफ दो मंजिला भवन का निर्माण कराया गया है. जिसमें 15 से 16 कमरा है, लेकिन छात्र छात्रों की संख्या अधिक होने के कारण उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. तत्कालीन तिलकामांझी यूनिवर्सिटी भागलपुर से जिले का एकमात्र केएसएस कॉलेज अंगीभूत किया गया था. केएसएस कॉलेज की अभी चितरंजन आश्रम में संचालित हो रही है. वर्तमान में कॉलेज के लिए भवन निर्माण यूनिवर्सिटी के राशि से किया गया है, लेकिन भवन में कई विभाग के लिए कमरा नहीं होने के कारण छात्र-छात्राओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. खासकर विज्ञान के छात्र-छात्राओं को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. विज्ञान के प्रयोगशाला ढंग के नहीं होने के कारण काम चलाओ जैसा कार्य हो रहा है. वर्षों बीत जाने के बाद भी जिले के एकमात्र धरोहर केएसएस कॉलेज की ओर न तो स्थानीय किसी जनप्रतिनिधि और ना ही शिक्षा विभाग के प्रशासन के द्वारा ध्यान दिया जा रहा है.

1966 में प्रदेश में चर्चित पंडित कार्यानंद शर्मा के नाम पर हुई थी कॉलेज की स्थापना

1966 में ही जिले ही नहीं बल्कि दूसरे प्रदेश में भी चर्चित रहे पंडित कार्यानंद शर्मा स्मारक के नाम से कॉलेज की स्थापना की गयी थी. कॉलेज की स्थापना चितरंजन आश्रम की जमीन पर हुई थी. जहां गांधी जी का आगमन भी हुआ था. गांधी जी के आगमन से चितरंजन आश्रम की प्रमुखता और बढ़ गयी थी. चितरंजन आश्रम परिसर स्थित ही भवन में ही केएसएस कॉलेज का संचालन होना शुरू हो गया था. इस बीच केएसएस कॉलेज के लिए विद्यापीठ चौक स्थित किऊल नदी के किनारे कॉलेज भवन निर्माण के लिए जमीन ली गयी थी. जहां भवन निर्माण कराया भी गया था, लेकिन सन 1976 के बाढ़ ने कॉलेज भवन अपने गर्भ में गायब कर दिया. कॉलेज के पुराने और चर्चित प्रिंसिपल प्रोफेसर विश्वेश्वर सिंह के सेवानिवृत्ति के बाद भी कॉलेज भवन के निर्माण नदी किनारे के लिए सोचा गया था, लेकिन वह पूर्ण नहीं हो पाया. तब से केएसएस कॉलेज चितरंजन रोड के चितरंजन आश्रम की में ही संचालित हो रहा था, लेकिन चितरंजन आश्रम कांग्रेस कमेटी के जर्जर भवन होने के कारण कॉलेज अपना भवन निर्माण अलग से कराया. पूर्ण रूप से भवन निर्माण नहीं होने के कारण अभी भी छात्र-छात्राओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है. इस संबंध में कॉलेज से जुड़े रहे कांग्रेस कमेटी के पूर्व जिलाध्यक्ष से बातचीत की गयी तो कई बात सामने आयी.

किऊल नदी किनारे के अलावे हसनपुर हाई स्कूल के पीछे कॉलेज की है जमीन

किऊल नदी के किनारे के अलावा हसनपुर हाई स्कूल के पीछे भी कॉलेज की अपना जमीन है. जहां भवन निर्माण के लिए कभी भी पहल नहीं की गयी. इसका मुख्य कारण यह है कि अधिकांश प्रोफेसर व महाविद्यालय के प्रशासक चितरंजन रोड के निवासी ही थे. अधिकांश बच्चे पुरानी बाजार एवं इसके आसपास गांव के होने के कारण हसनपुर के जमीन पर भवन निर्माण का कार्य होने से रोका गया.

कॉलेज फंड में वर्षों से पड़ी है दो करोड़ से अधिक राशि

दो करोड़ से भी अधिक राशि कॉलेज फंड में वर्षों से पड़ी हुई है, लेकिन वर्क ऑर्डर नहीं होने के कारण कॉलेज की अन्य विकास निर्माण कार्य में राशि खर्च नहीं की जा रही है. 25 वर्ष से अधिक समय तक कॉलेज के फंड की राशि पड़ी हुई है. इस बात को कॉलेज का प्राचार्य भी स्वीकार करते हुए कहा कि कॉलेज के फंड में राशि होने के बाद भी हुए बिना आर्डर के खर्च नहीं कर सकते हैं. जिले के ऐतिहासिक धरोहर केएसएस कॉलेज राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में चितरंजन आश्रम में स्थापना की गयी थी, लेकिन इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिए ना तो बिहार सरकार और ना ही विश्वविद्यालय के प्रशासन अपना ध्यान इस ओर आकृष्ट किया. जिसके कारण इस कॉलेज की शिक्षा अभी भी प्रभावित हो रही है. उन्होंने कहा कि इस धरोहर धरती पर गांधी जी के पांव पड़े थे. जिससे चितरंजन आश्रम के साथ-साथ केएसएस कॉलेज भी दूर-दूर तक चर्चा में रहा है. वर्तमान में भी विश्वविद्यालय के द्वारा इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

प्रमोद शर्मा, सीपीआई के पूर्व सचिव

स्थानीय लोगों के गलत राजनीति के कारण भी कॉलेज का विकास नहीं हो पाया है. लोगों के द्वारा कॉलेज के विकास पर ध्यान नहीं देने के कारण ही यहां का शिक्षा व्यवस्था चरमरायी है.

सुनील कुमार, जिला कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष

विश्वविद्यालय प्रशासन को कई बार डीपीआर भेजा गया है, लेकिन वर्क आर्डर नहीं होने के कारण हुए कार्य को नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि मल्टीपरपस हाल, बाउंड्री वॉल, इलेक्ट्रिसिटी, पेयजल प्रयोगशाला आदि के निर्माण के लिए डीपीआर बनाकर भेजा गया है, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

डॉ. अजय कुमार सिंह, प्राचार्य, केएसएस कॉलेजB

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