बीरभूम.
पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद केंद्र की भाजपा नीत राजग सरकार ने बंगाल में सौ दिनों के काम की मनरेगा योजना के मद की बकाया राशि अब तक नहीं भेजी है. इसे लेकर केंद्र व राज्य सरकार के बीच तनातनी जारी है. इस बीच, जिले के मनरेगा से जुड़े श्रमिकों के हित में राज्य सरकार अपने वादे के अनुरूप सक्रिय हुई है. जिले के 11 हजार जॉब कार्ड धारकों के लिए राज्य सरकार ने 86 लाख श्रम दिवस बना दिये हैं. इस बाबत मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की घोषणा के बाद जिला प्रशासन जिले में मनरेगा से जुड़े श्रमिकों के हित तत्पर हो गया है. मिली जानकारी के मुताबिक 100 दिवसीय कार्य योजना बनी है. बीरभूम जिला अब तक पदोन्नति में सातवें स्थान पर है. जिले में आधिकारिक रूप से पंजीकृत लगभग पांच लाख जॉब कार्ड धारक हैं. इनमें से पहले काम कर चुके 11,000 जॉब कार्ड धारक हैं. राज्य सरकार ने वर्ष में पहले 50 दिन की कार्य योजना लागू कर दी है. इसे निकट भविष्य में बढ़ाने का भरोसा भी दिया गया है. ध्यान रहे कि आम चुनाव के प्रचार के दौरान कई बार सौ दिनों के बकाया की मांग पर तरह-तरह से केंद्र को कोसा गया. तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव व सांसद अभिषेक बनर्जी ने केंद्र को चैलेंज किया था कि वर्ष 2021 से ही राज्य में सौ दिनों के काम से जु़ड़े मजदूरों के हिस्से की राशि केंद्र ने अब तक नहीं भेजी है. चुनाव मंच से प्रधानमंत्री को इस मुद्दे पर श्वेतपत्र जारी करने की भी चुनौती दी गयी थी. बंगाल से केंद्र के कथित भेदभाव को लेकर राज्य की मुख्यमंत्री ने अपने बल पर राज्य में 50 दिनों के रोजगार का आह्वान किया था. बीरभूम जिले के 13 विभागों में विभिन्न श्रेणियों के तहत 938 सहायक विभागों में जॉब कार्ड धारकों के लिए 86 लाख श्रम दिवस बनाये गये हैं. सभी सरकारी योजनाओं का कार्य विभिन्न एजेंसियों को दिया गया है. श्रमिकों को उनकी इच्छा से रोजगार से जोड़ा जा सकता है. लेकिन अब तय हुआ है कि एजेंसी अब से सरकारी नीति पर कार्य करेगी. यदि कोई श्रमिक काम करना चाहता है, तो उसे योजना के तहत काम दिया जायेगा. श्रमिकों की मजदूरी के रुपये राज्य सरकार सीधे उनके बैंक खातों में भेजेगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है