Unnao accident: पटना. बिहार से दिल्ली के लिए 350 से अधिक बसें रोजाना चलती हैं. ये बसें बिहार के विभिन्न शहरों से राजधानी दिल्ली या एनसीआर के लिए चलती है. इतनी बड़ी संख्या में अंतरराज्यीय बस सेवा होने के बावजूद सरकार का ध्यान न तो इन बसों की परमिट पर है और न ही इसके फिटनेस पर, जबकि ये बसें एक दो नहीं तीन राज्यों से गुजरती हैं. यूपी के उन्नाव में हुए हादसे के बाद एक बार फिर इन बसों के ऑपरेटर की जानलेवा लापरवाही और मनमानी का खुलासा हुआ है.
बिहार से दिल्ली जाती हैं रोजाना 350 से अधिक बसें
मुजफ्फरपुर समेत उत्तर बिहार के दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, शिवहर, मोतिहारी, बेतिया से 350 से अधिक स्लीपर डबल डेकर बसें दिल्ली के अन्य राज्यों के बड़े शहरों तक जाती हैं. लंबी दूरी की इन बसों में से ज्यादातर में पुरानी बसों में ही मनमाना बदलाव कर डबल डेकर बनाकर चलाई जाती हैं. डबल डेकर बनाई गई बसों को लोहे के चादर और प्लाइवुड से पैक कर दिया जाता है. इनमें न इमरजेंसी गेट होता है न स्पीड गवर्नर. बस में बदलाव के लिए एमवीआई से मंजूरी भी नहीं ली जाती. बिना मंजूरी मनमाने बदलाव के बाद भी अवैध बसों का फिटनेस एमवीआई कार्यालय से पास हो जाता है और इस आधार पर इन्हें टूरिस्ट परमिट मिल जाता है.
85 प्रतिशत बसें यूपी निबंधित, दस फीसदी दिल्ली की
मुजफ्फरपुर सहित उत्तर बिहार के जिलों के विभिन्न इलाकों से हर दिन 250 से 300 बसें यूपी, दिल्ली और राजस्थान के लिए खुलती हैं, लेकिन इनमें से महज पांच बसों का ही निबंधन मुजफ्फरपुर में हुआ है. इन बसों में 85 प्रतिशत यूपी के विभिन्न जिलों में तो 10 फीसदी नई दिल्ली में निबंधित हैं. शेष बसों का कुछ अता पता नहीं है, क्योंकि ये बाकी निबंधित बसों के कागजात के सहारे चलाई जा रही हैं. मिली जानकारी के अनुसार इन बसों का संचालन रास्तों में पड़नेवाले जिलों के परिवहन पदाधिकारियों, पुलिस थानों और अन्य संबंधित विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से होता है. लंबी दूरी की ज्यादातर बसें सिंगल ड्राइवर के हवाले रहती हैं. ऐसे में बस चालक को 18 से 24 घंटे तक लगातार बस चलानी पड़ जा रही है. इस कारण रास्ते में नींद आने के कारण भी हादसे होते हैं. नियम के अनुसार लंबी दूसरी वाली बसों में कम से कम दो चालक रखना अनिवार्य है. दो चालकों का ब्योरा देने पर ही टूरिस्ट परमिट मिलता है.
टूरिस्ट परमिट पर बसें ढो रहीं सवारी, अफसर अनजान
लंबी दूरी की ज्यादातर बसों का परिचालन टूरिस्ट परमिट पर हो रहा है. ये बसें नियमित सवारियां ढोती हैं. झारखंड व पश्चिम बंगाल को छोड़कर अन्य किसी राज्य के लिए बसों को परमिट नहीं है. टूरिस्ट परमिट पहली बार अधिकतम 14 दिन का मिलता है. यह दो बार अधिकतम 28 दिनों के लिए बढ़ता है. अंतरराज्यीय बस परिवहन के लिए बिहार का केवल झारखंड और पश्चिम बंगाल से करार है. दिल्ली जाने वाली अधिकतर बसों का परिचालन चौक-चौराहों से हो रहा है. टूरिस्ट वीजा होने के कारण स्टैंड से इनका परिचालन नहीं होता है. इन बसों की निगरानी की कोई व्यवस्था नहीं है. इनमें क्षमता से अधिक सवारियों को ठूंसकर बैठाया जाता है. एक बस में 70 से 80 यात्रियों को ढोया जाता है. हालांकि, अवैध तरीके से दिल्ली चलाई जा रही बसों के ऑनर का बैरिया, दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी बस स्टैंड में कार्यालय भी खुला है, जहां टिकट की बुकिंग की जाती है, जबकि स्टैंड से केवल स्थाई परमिट वाली बसें ही खुलती हैं.