21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Guru Pradosh Vrat 2024: इस दिन गुरु प्रदोष व्रत पर हो रहा है दुर्लभ योगों का संगम, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

Guru Pradosh Vrat 2024: आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 18 जुलाई को रात 8 बजकर 44 मिनट से शुरू होगी. यह तिथि अगले दिन 19 जुलाई को शाम 7 बजकर 41 मिनट पर खत्म हो जाएगी.

Guru Pradosh Vrat 2024: आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि, 18 जुलाई को, गुरु प्रदोष व्रत का अद्भुत संयोग बन रहा है. यह व्रत भगवान शिव की आराधना के लिए समर्पित है, जिनकी कृपा से भक्तों को मोक्ष और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है. 18 जुलाई को, गुरु प्रदोष व्रत, कई दुर्लभ खगोलीय संयोगों से युक्त होगा, जो इसे अत्यंत शुभ और फलदायी बनाते हैं.

प्रदोष व्रत का महत्व

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. यह व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है. प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं.

Numerology 4: मूलांक चार वाले लोग इस प्रोफेशन में बना सकते हैं अपना बेहतर भविष्य, जानें इनके बारे में रोचक बातें

18 जुलाई को बनने वाले दुर्लभ योग

गुरु प्रदोष व्रत 18 जुलाई को कई दुर्लभ योगों का संगम होगा. इस दिन ब्रह्म योग, रवि योग और शिववास योग का निर्माण हो रहा है. ज्योतिष शास्त्र में इन योगों को अत्यंत शुभ माना जाता है.

ब्रह्म योग

ब्रह्म योग ज्ञान, विद्या और बुद्धि की प्राप्ति के लिए शुभ माना जाता है. इस योग में किए गए कार्यों का फल कई गुना अधिक मिलता है.

रवि योग

रवि योग सूर्य ग्रह से संबंधित है. यह योग मान-सम्मान, कीर्ति और यश की प्राप्ति के लिए शुभ माना जाता है.

शिववास योग

शिववास योग भगवान शिव को समर्पित है. इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं.

शुभ मुहूर्त

प्रदोष काल: 18 जुलाई को शाम 6:10 बजे से 8:28 बजे तक
त्रयोदशी तिथि आरंभ:
18 जुलाई को रात 08:43 बजे
त्रयोदशी तिथि समाप्त: 19 जुलाई को शाम 07:42 बजे
गुरु प्रदोष व्रत: 18 जुलाई को

गुरु प्रदोष व्रत के शुभ मुहूर्त में, भक्तों को निम्नलिखित विधि से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए:
प्रदोष काल: शाम 6:10 बजे से 8:28 बजे तक

स्नान: प्रदोष काल से पहले स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें.
शिवलिंग स्थापना: घर में शिवलिंग स्थापित करें या किसी मंदिर में जाएं.
पंचामृत स्नान: शिवलिंग को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और जल) से स्नान कराएं.
बेलपत्र अर्पण: शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, फूल और फल अर्पित करें.
दीपदान: शिवलिंग के समक्ष घी का दीप जलाएं.
मन्त्र जाप: “ॐ नमः शिवाय” या “महामृत्युंजय मन्त्र” का जाप करें.
ध्यान: शांत मन से भगवान शिव का ध्यान करें.
व्रत: रात्रि में व्रत रखें और अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत खोलें

गुरु प्रदोष व्रत का पालन करने से भक्तों को निम्नलिखित आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं:

पापों का नाश
इस व्रत से भक्तों के पापों का नाश होता है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है.


मनोकामना पूर्ति
भगवान शिव भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं.


आरोग्य लाभ
इस व्रत से आरोग्य लाभ होता है और रोगों से मुक्ति मिलती है.


ग्रहों की पीड़ा दूर
इस व्रत से ग्रहों की पीड़ा दूर होती है और ग्रहों का शुभ प्रभाव प्राप्त होता है.
दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि: इस व्रत से दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है.

जन्मकुंडली से सम्बंधित किसी भी तरह से जानकारी प्राप्त करने हेतु दिए गए नंबर पर फोन करके जानकारी प्राप्त कर सकते है .

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें