Shravani Mela: बैद्यनाथ धाम सावन के महिने में हजारों-लाखों भक्तों से भरा रहता है. देश के अलग-अलग राज्यों से लोग भगवान शिव के दर्शन करने आते हैं. देवघर में 72 फीट ऊंचा बाबा बैद्यनाथ का मंदिर है. इसके अलावा 22 और मंदिर इस परिसर में हैं. आमतौर पर भोलेनाथ के मंदिर के शिखर पर त्रिशूल लगा होता है, लेकिन बाबा बैजनाथ के मुख्य मंदिर के शिखर पर पंचशूल लगा है. इसे मंदिर का सुरक्षा कवच माना जाता है.
‘पंचशूल’ के स्पर्श को उमड़ पड़ती है भीड़
हर वर्ष महाशिवरात्रि से 2 दिन पहले इस सुरक्षा कवच यानी पंचशूल को को मंदिर के शिखर से उतारकर उसकी साफ-सफाई की जाती है. पंचशूल की विशेष पूजा होती है और इसके बाद उसे फिर से मंदिर के शिखर पर लगा दिया जाता है. इस दौरान भक्तों की भीड़ इस ‘पंचशूल’ को स्पर्श करने के लिए उमड़ पड़ती है. ऐसी मान्यता है कि पंचशूल के स्पर्श से व्यक्ति के कई दोष दूर हो जाते हैं. आइए, इस पंचशूल के स्पर्श के क्या-क्या लाभ है, हम आपको बताते हैं.
मानव के 5 विकारों का नाश करता है पंचशूल
देवघर में बाबा मंदिर के ऊपर लगे पंचशूल के स्पर्श की खातिर भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है. ऐसी मान्यता है कि यह मानव शरीर में मौजूद 5 विकारों – काम, क्रोध, लोभ, मोह और ईर्ष्या का नाश करता है.
पंचशूल में हैं पंचतत्व
धार्मिक ग्रंथों की मान्यताओं के अनुसार, त्रिशूल में सिर्फ तीन तत्व – पृथ्वी, जल और आकाश होते हैं. लेकिन, देवघर के बाबा बैद्यनाथ मंदिर के शिखर पर लगा पंचशूल रहस्यों से भरा हुआ है. इसमें पांच तत्व यानी पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश हैं.
बाबा मंदिर को प्राकृतिक आपदाओं से रखता है सुरक्षित
कथाओं के अनुसार, पंचशूल में अपार शक्ति है. इसके के तार त्रेता युग के लंका के राजा रावण से जुड़े हैं. रावण की वजह से ही इस बाबा बैद्यनाथ के शिवलिंग को रावणेश्वर लिंग भी कहते हैं. धार्मिक मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा ने इस मंदिर का निर्माण किया है. प्राकृतिक आपदाओं से मंदिर की रक्षा के लिए ही इसके शिखर पर पंचशूल लगाया गया था. आज तक किसी भी प्राकृतिक आपदा का बाबा मंदिर पर कोई असर नहीं हुआ है.
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