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आयकर रिटर्न की अंतिम तिथि 31 जुलाई, देर करने पर जानें कितना लगेगा जुर्माना…

आयकर रिटर्न करदाता रिटर्न दाखिल नहीं करेंगे तो 5 लाख रुपए की आय पर उसे एक हजार और 5 लाख रुपए से अधिक आय पर 5 हजार लेट जुर्माना लगेगा

आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई है. निर्धारित समय से पहले रिटर्न दाखिल नहीं किया तो आयकर दाता को जुर्माना देना होगा. जो करदाता रिटर्न दाखिल नहीं करेंगे तो 5 लाख रुपए की आय पर उसे एक हजार और 5 लाख रुपए से अधिक आय पर 5 हजार लेट जुर्माना लगेगा. इसके अलावा रिटर्न समय पर नहीं भरने पर यदि आय में नुकसान हुआ है तो अगले साल के मुनाफे में यह नुकसान समायोजित नहीं होगा. टैक्सेशन बार एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रदीप कुमार वर्मा ने कहा कि फिलहाल दो तरह की कर व्यवस्था चल रही है.

पुरानी कर व्यवस्था के तहत आयकर दाता हर तरह की कटौती क्लेम कर सकता है, इसमें अधिकतम डेढ़ से दो लाख तक की कटौती क्लेम कर सकते है, जिसमें पीपीएफ का निवेश, LIC, होम लोन की मूल राशि और पांच वर्ष का फिक्स्ड डिपॉजिट शामिल होता है. जिन व्यक्तियों की आये ढाई लाख से कम है तो उन्हें रिटर्न दाखिल करने की जरूरत नहीं है, यदि उनकी आय ढाई लाख से अधिक है तो इसके लिए आयकर विभाग ने स्लैब रेट दे रखा है, जिसके तहत ढाई से पांच लाख तक पांच फीसदी, पांच से 10 लाख तक 20 फीसदी और 10 लाख से अधिक पर 30 फीसदी आयकर देना है.

न्यू टैक्स रेजीम के तहत तीन लाख रुपए की सीमा होती है, जिसका मतलब है कि तीन लाख तक टैक्स नहीं भरना होता है, वहीं तीन से छह लाख तक पांच फीसदी, छह से नौ लाख तक 10 फीसदी, नौ से 12 लाख तक 15 फीसदी, 12 से 15 लाख तक तक 20 फीसदी और 15 लाख से अधिक पर 30 फीसदी टैक्स भरना है. हालांकि इसमें सिर्फ एक ही कटौती की अनुमति रहती है जो 50 हजार तक का स्टैंडर्ड डिडक्शन होता है.

75 वर्ष या उससे अधिक उम्र के पेंशनर को आइटी रिटर्न जरूरी नहीं

75 वर्ष या उससे अधिक के पेंशनर को आयकर रिटर्न देना जरूरी नहीं है, यदि उनकी आय सिर्फ पेंशन से हो, यदि उनका बैंक में एफडी, म्युचुअल फंड, अन्य सेविंग राशि हो, जिस पर ब्याज मिलता हो, या आय का कोई अन्य स्रोत हो तो उनके लिये आयकर रिटर्न अनिवार्य है. टैक्सेशन बार एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रदीप कुमार वर्मा ने बताया कि आयकर रिटर्न की अंतिम तिथि 31 जुलाई है. बुजुर्गों में इस बात को लेकर भ्रम है कि उम्र के हिसाब से उन्हें आयकर रिटर्न नहीं भरना है. लेकिन आयकर अधिनयिम की धारा 194पी ऐसे बुजुर्गों को यह छूट नहीं देती है, जिनकी आय पेंशन के अलावा अन्य स्रोत से होती हो.

कई वेतनभोगी मानते हैं कि यदि उनके वेतन से उचित टीडीएस काटा गया है तो उन्हें रिटर्न दाखिल करने की आवश्यकता नही है. वे अधिकांश श्रोतों पर टीडीएस को ही पूर्ण अनुपालन मानते हैं, यह सही नहीं है. जब किसी व्यक्तिगत करदाता की आय किसी वित्तीय वर्ष में मूल छूट सीमा से कम होती है तो कर देयता शून्य होती है. ऐसे व्यक्ति आयकर अधिनियम 1961 कि धारा 139(1) के प्रावधान के अनुसार आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए बाध्य नहीं है.

ये लोग शून्य रिटर्न दाखिल कर सकते हैं, लेकिन अगर सकल कुल आय मूल छूट सीमा से अधिक तो रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य है. पुरानी टैक्स ( कर) व्यवस्था के तहत मूल छूट सीमा 60 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति के लिए 2.5 लाख रुपए, 60 वर्ष से अधिक लेकिन 80 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति के लिए ती लाख रुपए, 80 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति के लिए पांच लाख है. नयी टैक्स (कर) व्यवस्था के तहत सभी श्रेणियों के करदाताओं के लिए मूल छूट सीमा तीन लाख रुपए है.

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