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कैंपस : नीट विवाद से काउंसेलिंग फंसी, यूजी व पीजी छात्रों की बढ़ी परेशानी, बांड व रिलीविंग दोनों फंसे

नीट में धांधली के आरोप के बीच मेडिकल छात्रों की परेशानी बढ़ गयी है. सत्र लेट होने से छात्र चिंतित हैं. यूजी (एमबीबीएस, एमडीएस) और पीजी (एमडी, एमएस) दोनों के शैक्षिक सत्र भी प्रभावित हुए

– रेजीडेंट डॉक्टरों का संकट नहीं हो, इसको लेकर पुराने पीजी छात्रों को रिलीव नहीं किया जा रहा, पीजी का पिछला सत्र भी हुआ प्रभावित

संवाददाता, पटना

नीट में धांधली के आरोप के बीच मेडिकल छात्रों की परेशानी बढ़ गयी है. सत्र लेट होने से छात्र चिंतित हैं. यूजी (एमबीबीएस, एमडीएस) और पीजी (एमडी, एमएस) दोनों के शैक्षिक सत्र भी प्रभावित हुए हैं. जानकारों की मानें, तो जहां तक यूजी का सवाल है, तो हर साल जुलाई तक काउंसेलिंग की प्रक्रिया पूरी हो जाती है. ऐसे में एक अगस्त से मेडिकल कॉलेजों में नया शैक्षिक सत्र भी शुरू हो जाता है. मगर इस साल नीट में गड़बड़ी के फेर में अभी काउंसलिंग ही फंसी हुई है. नीट विवाद के बीच छात्र जल्द काउंसेलिंग की मांग कर रहे हैं.

अब 11 अगस्त को होगी नीट पीजी की परीक्षा

नीट को देखते हुए इस बार स्वास्थ्य मंत्रालय ने एहतियाती उपाय के तौर पर निर्धारित तिथि से एक रात पहले नीट-पीजी रद्द कर दी. अब यह परीक्षा 11 अगस्त को दो पालियों में आयोजित की जायेगी. पीजी की परीक्षा भी करीब एक महीने बाद हो रही है. ऐसे में परिणाम घोषित होने और काउंसेलिंग के बाद सितंबर तक ही प्रवेश हो सकेंगे. नीट यूजी में धांधली के आरोपों की जांच और सुप्रीम कोर्ट में केस विचाराधीन है. ऐसे में परीक्षा पास करने वाले तमाम अभ्यर्थी उहापोह की स्थिति में हैं. छात्र यह समझ नहीं पा रहे हैं कि उनकी काउंसलिंग होगी या फिर उन्हें दोबारा प्रवेश परीक्षा में शामिल होना पड़ेगा.

किसी ने तैयारी बंद की, तो किसी ने फिर से तैयारी का मन बनाया

नीट की परीक्षा में सफल होने वाले अभ्यर्थी तैयारी बंद कर चुके हैं. छात्रों की पढ़ाई का लय भी प्रभावित हुई है. हालांकि कुछ अभ्यर्थियों ने दोबारा तैयारी करने के लिए भी मन बना लिया है. छात्र अब अगले सत्र में दाखिले का इंतजार को लेकर तैयारी में जुट गये हैं. वहीं अगर परीक्षा निरस्त नहीं भी होती है तो भी शैक्षणिक सत्र में तो एक महीने से अधिक का समय बीत ही चुका है.

रिलीविंग व बांड दोनों फंसे, पीजी का पिछला सत्र भी हुआ प्रभावित

पीजी के नये सत्र में विलंब का असर पिछले सत्र पर भी पड़ रहा है. पिछले सत्र में एमडी या एमएस की परीक्षा पास करने वालों को भी नये प्रवेश न हो पाने के चलते रिलीव नहीं किया जा रहा है. नहीं तो मेडिकल कॉलेजों में रेजीडेंट डॉक्टरों का संकट हो जायेगा. ऐसे में उनके बांड भी फंसे हैं. जानकारों का कहना है कि पीजी छात्रों के प्रवेश बीते सालों में 15 मई तक होते रहते हैं. इसकी तुलना में इस बार तो अभ्यर्थी 11 अगस्त को परीक्षा देंगे. काउंसलिंग व सत्र शुरू होने में अक्तूबर हो जायेगा.

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