लखीसराय. नगर परिषद की गलत रवैया के कारण फुटपाथ दुकानदार कुंडली मार कर बैठे हैं. नगर परिषद के द्वारा पूर्व में ही फुटपाथ दुकानदार को लाइसेंस दे रखा है. यही कारण है कि शहर की सड़क के फुटपाथ को अतिक्रमण कर स्थायी रूप से अपना दुकान लगा रहे हैं. नगर परिषद के गलत नीति के कारण जाम की समस्या से लोगों को निजात नहीं मिल रहा है. एक तरफ नगर परिषद फुटपाथ दुकानदार को लाइसेंस देकर उन्हें फुटपाथ दुकानदार बना दिया है तो दूसरी ओर उसे हटाने के लिए जब बल का प्रयोग किया जाता है तो फुटपाथ दुकानदार एकजुट होकर जमकर विरोध करते हैं. जिससे कि नगर परिषद के कर्मियों को पीछे हटना पड़ता है. कई बार शहर के फुटपाथ दुकानदार को हटाने को लेकर फुटपाथ दुकानदार एवं नगर परिषद के कर्मियों के बीच तनातनी की स्थिति बनी हुई थी. बाद में पुलिस के हस्तक्षेप से मामला को शांत कराया गया था.
विद्यापीठ चौक से जमुई मोड़ तक फुटपाथ दुकानदारों को बांटा गया लाइसेंस
विद्यापीठ चौक से जमुई मोड तक फुटपाथ दुकानदार को नगर परिषद के द्वारा वर्ष 2015 में तत्कालीन नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी संतोष कुमार रजक के द्वारा ट्रेड लाइसेंस दिया गया था. जिसके बाद फुटपाथ दुकानदार को 10 हजार रुपये तक ऋण भी उपलब्ध कराया था. इसके बाद फुटपाथ दुकानदार नगर परिषद के ट्रेड लाइसेंस धारी दुकानदार बन गये.वेंडर जोन बनाने के लिए चयन किया गया था स्थल
फुटपाथ दुकानदार को शहर की सड़क के फुटपाथ से हटाने के लिए वेंडर जोन निर्माण करने का योजना बनायी गयी थी. जिसके लिए विद्यापीठ चौक, पथला घाट, सूर्यनारायण घाट, अष्टघटी मोड़, जमुई मोड़ आदि का स्थल चयन किया गया था, लेकिन यह योजना अभी तक अधर में पड़ा हुआ है. न तो वेंडर जोन का निर्माण हो पाया है और न ही फुटपाथ दुकानदार शहर के मुख्य सड़क को अतिक्रमण से मुक्त कर रहे हैं. अतिक्रमण से मुक्त नहीं होने के कारण शहर में जाम की स्थिति पूर्व की भांति बनी हुई है.बोले अधिकारी
नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी अमित कुमार ने कहा कि फुटपाथ दुकानदार को अगर लाइसेंस दिया गया है तो उन्हें यह नहीं कहा गया कि वह फुटपाथ या मुख्य सड़क को अतिक्रमण कर लें. फुटपाथ दुकानदार के लिए शहर के मुख्य सड़क का फुटपाथ स्थायी रूप से नहीं है. फुटपाथ को जल्द ही खाली कराया जायेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है