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सोशल मीडिया व बाइकर्स गैंग पर रहेगी पैनी नजर, डीजे पर पूरी तरत प्रतिबंध

बैठक में मुहर्रम पर्व को लेकर आवश्यक विचार-विमर्श सभी एसडीएम, एसडीपीओ सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी, सभी अंचल अधिकारी एवं जिला शांति समिति के सदस्य के साथ किया गया

सुपौल. समाहरणालय स्थित लहटन चौधरी सभागार भवन में गुरुवार को मुहर्रम पर्व को लेकर जिलाधिकारी कौशल कुमार की अध्यक्षता में जिला शांति समिति की बैठक संपन्न हुई. बैठक में मुहर्रम पर्व को लेकर आवश्यक विचार-विमर्श सभी एसडीएम, एसडीपीओ सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी, सभी अंचल अधिकारी एवं जिला शांति समिति के सदस्य के साथ किया गया. डीएम श्री कुमार द्वारा बताया गया कि इस वर्ष मुहर्रम पर्व 17 जुलाई को मनाया जायेगा. मुहर्रम पर्व शांतिपूर्ण ढंग से मनाने को लेकर डीएम द्वारा पुलिस प्रशासन एवं प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी को चौकसी बरतने का निदेश दिया गया. मुहर्रम पर्व के दौरान डीजे पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाने के लिए सभी एसडीएम व सभी एसडीपीओ को निदेश दिया गया. डीजे संचालकों की सूची तैयार कर थाना में जब्त करने का निदेश सभी थाना अध्यक्ष को दिया गया. साथ ही पर्व को सौहार्द एवं शांतिपूर्ण वातावरण में मनाने को लेकर सोशल मीडिया एवं बाईकर्स पर विशेष निगरानी रखने का निदेश दिया गया. पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी मुहर्रम पर्व शांतिपूर्ण माहौल में मनाया जायेगा. कही से किसी भी प्रकार की अफवाह के सूचना प्राप्त होने पर तत्क्षण कार्रवाई की जायेगी. बैठक में एसपी शैशव यादव, एडीएम रशीद कलीम अंसारी, एसडीएम इंद्रवीर कुमार, एसडीपीओ आलोक कुमार, नगर परिषद के मुख्य पार्षद राघवेंद्र झा राघव, अमर कुमार चौधरी, मो नईमउद्दीन, रामचन्द्र यादव, जमालउद्दीन, जियाउर्ररहमान, खुर्शीद आलम, एम वली, बैद्यनाथ भगत, शंभू चौधरी सहित अन्य मौजूद थे.

मुहर्रम की तैयारी शुरू

मुस्लिम समुदाय का मातमी पर्व मोहर्रम पर्व को लेकर तैयारी शुरू कर दी गयी है. दरअसल मोहर्रम एक महीना है, इसी महीने से इस्लाम धर्म के नए साल की शुरुआत होती है. मोहर्रम की 10 तारीख को हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मातम मनाया जाता है. इस दिन हजरत इमाम हुसैन के समर्थक खुद को तकलीफ देकर इमाम हुसैन की याद में मातम मनाते हैं. पैगंबर मुहम्मद के पोते इमाम हुसैन की शहादत की याद दिलाता है, जो कर्बला की लड़ाई में मारे गए थे. आशूरा इस्लामिक कैलेंडर के पहले महीने मुहर्रम के 10वें दिन मनाया जाता है.

जानें ताजिया का इतिहास

मोहर्रम माह के 10वें दिन तजियादारी की जाती है. बताया कि इराक में इमाम हुसैन का रोजा-ए-मुबारक ( दरगाह ) है, जिसकी हुबहू कॉपी (शक्ल) बनाई जाती है, जिसे ताजिया कहा जाता है. ताजियादारी की शुरुआत भारत से हुई है. तत्कालीन बादशाह तैमूर लंग ने मुहर्रम के महीने में इमाम हुसैन के रोजे (दरगाह) की तरह से बनवाया और उसे ताजिया का नाम दिया गया.

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