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आग से असुरक्षित सरकारी और निजी भवनों की होगी पहचान

आग से असुरक्षित सरकारी और निजी भवनों की होगी पहचान, पहले नोटिस फिर होगा सील

आग से असुरक्षित सरकारी और निजी भवनों की होगी पहचान, पहले नोटिस फिर होगा सील

– अग्नि सुरक्षा कार्ययोजना क्रियान्वयन निगरानी समिति की बैठक में लिया गया निर्णय, आग से सुरक्षा के लिए बिल्डिंग बायलॉज का सख्ती से कराया जायेगा अनुपालन

संवाददाता ,पटना

अग्नि सुरक्षा कार्ययोजना क्रियान्वयन निगरानी समिति की बैठक पटेल भवन में हुई,जिसमें सभी जिलों को आदेश जारी किया गया है कि आग से असुरक्षित सरकारी व निजी भवन को पहले नोटिस दें और फिर सील करें. वहीं, राज्य में आग की दृष्टि से लगभग 200 खतरनाक सरकारी भवनों को चिन्हित किया गया है. इन्हें पहले नोटिस दिया जायेगा और स्थिति में सुधार न होने पर सील करने की कार्रवाई की जायेगी. नेशनल बिल्डिंग कोड (एनबीसी) और बिहार के बिल्डिंग बायलॉज में अग्नि सुरक्षा की दृष्टि से विस्तृत प्रावधान किये गये है. भवन निर्माण विभाग को इनका सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए. नये बन रहे सरकारी अस्पतालों में अग्निशमन केंद्र स्थापित किये जायेंगे. बैठक बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ. उदय कांत की अध्यक्षता में हुई. जिसमें प्राधिकरण के सदस्य पारस नाथ राय, प्राधिकरण के सदस्य नरेंद्र कुमार सिंह, महानिदेशक (अग्निशमन सेवाएं) शोभा अहोतकर, विशेष सचिव (गृह) के. सुहिता अनुपम, पुलिस महानिरीक्षक (अग्निशमन सेवाएं) एम. सुनील कुमार नायक, उपमहानिरीक्षक (अग्निशमन सेवाएं) एमके चौधरी, संयुक्त सचिव (भवन निर्माण) संजय कुमार सिंह सहित विभिन्न विभागों के पदाधिकारी मौजूद थे. बैठक में कई विभागों के वरीय पदाधिकारियों की अनुपस्थिति पर उपाध्यक्ष ने असंतोष जताया. उन्होंने कहा कि बैठक में अपने प्रतिनिधि कतई नहीं भेजे.

फायर इंजीनियरिंग पर फोकस करना होगा

डॉ उदय कांत ने कहा कि अग्नि सुरक्षा के लिए हमें अल्पकालिक, मध्यकालिक,दीर्घकालिक तीन तरह की योजनाएं बनानी होगी. इसके लिए अब फायर फाइटिंग की जगह फायर इंजीनियरिंग पर फोकस किया जायेगा. आग लगने की घटना का पूर्वानुमान लगाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) तथा मशीन लर्निंग (एमएल) एवं आग पर काबू पाने के लिए रोबोट, ड्रोन जैसी नई तकनीक का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना होगा. इसी कड़ी में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से आइआइटी, पटना के सहयोग से ‘नीतीश‘ पेंडेंट तैयार हो रहा है. जिससे आधुनिक तकनीक से विभिन्न आपदाओं की पूर्व सूचना लोगों को मिलेगी.

अगलगी की तकरीबन 50 फीसद घटनाएं बिजली के कारण होती हैं

एक सर्वे के मुताबिक अगलगी की तकरीबन 50 फीसदी घटनाएं बिजली के कारण होती हैं. इसके लिए ऊर्जा विभाग को अल्यूमीनियम वायर का इस्तेमाल रोकना होगा. ड्राई ट्रांसफाॅर्मर लगाने होंगे. बड़े अपार्टमेंट, मल्टीप्लेक्स की लोड एनालिसिस सही तरीके से करनी होगी. शहर तेजी से हीट आइलैंड में तब्दील हो रहे हैं.ग्लोबल वार्मिंग की वजह से परिस्थितियां दुष्कर होती जा रही हैं. अगलगी की घटनाएं पहले से काफी बढ़ी हैं. इसी अनुरूप हम सभी को तैयार रहना होगा. पेड़ -पौधों तथा वाटर बाॅडीज की रक्षा करनी होगी. उन्हें बढ़ाना होगा.

भवन को आग से जब तक पूरी तरह सुरक्षित घोषित न कर दिया जाये, सर्टिफिकेट नहीं दें

नवनिर्मित किसी भवन को आग से जब तक पूरी तरह सुरक्षित घोषित न कर दिया जाये, स्थानीय निकाय ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट उस भवन को जारी न करे. ऊंची इमारतों में फायरमैन्स लिफ्ट, इवैक्युएशन लिफ्ट की अलग से व्यवस्था कराना होगा. भवन निर्माण विभाग पहले सरकारी भवनों में इन्हें बनवाना शुरू करे.फिर अपार्टमेंट्स और निजी भवनों में भी यह व्यवस्था सुनिश्चित करे.

भवनों की नियमित हो रही है ऑडिट , बिहटा में बनेगा नेशनल फायर कॉलेज का एक क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्र

महानिदेशक (अग्निशमन सेवाएं) शोभा अहोतकर ने कहा कि हाल में सभी होटल व कोचिंग सेंटर की फायर ऑडिट विभाग ने कराया है. वहीं,अस्पतालों की ऑडिट हर माह कराया जाता है. वहीं,राष्ट्रीय अग्निशमन सेवा महाविद्यालय (नेशनल फायर काॅलेज) की सहायक निदेशक वैशाली सिंह दिल्ली से ऑनलाइन शामिल हुई. उन्होंने कहा नेशनल फायर कॉलेज का एक क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्र जल्द ही बिहटा में बनेगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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