Dengue in Bihar: पटना. बिहार में मानसून की बारिश के साथ साथ ही एक बार फिर डेंगू का डंक सताने लगा है. मानसून के समय बिहार में डेंगू एक महामारी के रूप में उभरती रही है. पिछले 10 वर्षों से डेंगू का प्रकोप अधिक देखा जा रहा है. खासकर पटना में पिछले साल तो डेंगू शहरवासियों पर कहर बनकर टूटा था. 19 मौत के अलावा 10 हजार लोग इसकी चपेट में आ गये थे. पटना सिटी से दानापुर तक शायद ही कोई मोहल्ला था जो डेंगू के प्रकोप से बचा था. इस बार भी हालात बहुत नहीं बदले हैं. पटना में अब तक 30 से अधिक हॉट स्पॉट मिल चुके हैं, जहां डेंगू का लावा मिला है. शहर में चिकनगुनिया का भी ग्राफ ऊपर बढ़ रहा है.
लोगों के मन में डर का भाव
मॉनसूनी बारिश ने पटनावासियों को गर्मी से राहत तो दिलाई, लेकिन इसके साथ ही उनके मन में डर भी भर दिया है. जगह-जगह हुए जलजमाव व मच्छरों के बढ़ते प्रकोप ने एक बार फिर डेंगू का डर भर दिया है. उनका कहना है कि मच्छरों को नियंत्रित करने में नगर निगम और सिविल सर्जन कार्यालय स्तर पर बरती जा रही लापरवाही एक बार फिर भारी पड़ सकती है. पिछले साल डेंगू से प्रभावित रहे मोहल्लों के निवासियों से बात करने पर उनकी यह चिंता सामने
आई.
कम जल जमाववाले मोहल्ले भी हॉट स्पॉट
पिछले वर्ष बांकीपुर, पाटलिपुत्र और कंकड़बाग अंचल के दो दर्जन से ज्यादा मोहल्ले डेंगू के हॉट बन गए थे. जगह-जगह हुआ जलजमाव इसका बड़ा कारण था. हालांकि डेंगू का प्रकोप पिछले वर्ष उन मोहल्लों में भी खूब रहा, जहां अपेक्षाकृत जलजमाव कम था. इस बार भी इनमें से कई मोहल्ले में जलजमाव होने लगा है. बारिश के बाद बाजार समिति का बड़ा हिस्सा तालाब में तब्दील हो गया है. कई मोहल्ले में भी पानी जमा है. इससे मच्छरों का प्रकोप अचानक बढ़ा है.
पिछले वर्ष यहां डेंगू का भारी प्रकोप था. एक छात्र की मौत भी हो गई थी. इस बार भी डेंगू फैलने का डर है.
लगातार बढ़ता गया डेंगू-चिकनगुनिया का ग्राफ
पिछले वर्ष डेंगू की शुरुआत 26 जुलाई को हुई थी. पहली मरीज कंकड़बाग के एक बड़े निजी अस्पताल में मिली थी. बाद में उसकी मौत हो गई थी. इसके बाद फुलवारी से दो और कंकड़बाग से एक मरीज मिले थे. 10 सितंबर तक यह आंकड़ा 100 पहुंचा था. उसके बाद से लगातर डेंगू का प्रकोप बढ़ता गया. अक्टूबर के अंत तक डेंगू से 10 हजार से ज्यादा लोग ग्रसित हो चुके थे.
डेंगू को लेकर तैयारी तेज
डेंगू को लेकर सूबे के सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में कम से कम 20, जबकि जिला अस्पतालों में 10 बेड का डेंगू वार्ड बनाने का निर्देश दिया गया है. डेंगू वार्ड में हर बेड पर मच्छरदानी अनिवार्य किया गया है. साथ ही डेंगू से अधिक प्रभावित जिलों को चिह्नित करने और इसका कारण पता लगाने को कहा गया है. साथ ही बीते साल जो इलाके डेंगू से सबसे अधिक प्रभावित थे, वहां जाकर देखना है कि कहीं पानी जमा तो नहीं है.
डेंगू के मरीजों के लिए 30 बेड रिजर्व किए, एक भर्ती
पटना सिटी में डेंगू मरीजों के लिए एनएमसीएच में 30 बेड रिजर्व किए गए हैं. उपाधीक्षक डॉ सरोज कुमार ने बताया कि सेंटर ऑफ एक्सीलेंस परिसर स्थित फैब्रिकेटेड अस्पताल भवन में 10 बेड पुरुष और 10 बेड महिला मरीज के लिए रिजर्व रखे गए हैं. इसके अलावा पांच बेड शिशु वार्ड में रखे गये हैं. अब तक एक मरीज यहां भर्ती हुआ है.
डेंगू से बचाव की वैक्सीन बनी, पटना में भी जल्द होगा ट्रायल
बिहार समेत देशभर में हर साल डेंगू से काफी संख्या में लोग पीड़ित होते हैं. इनमें कुछ की मौत भी हो जाती है. अब इससे बचाव के लिए देसी टीका तैयार हो गया है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की निगरानी में देश का पहला डेंगू का टीका विकसित किया गया है. पटना में जल्द ही इसका ट्रायल किया जायेगा.