15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सीसीएल में अब साफ-सफाई सौ फीसदी आउटसोर्स के भरोसे

सीसीएल में अब साफ-सफाई सौ फीसदी आउटसोर्स के भरोसे

राकेश वर्मा, बेरमो : कोल इंडिया की अनुषंगी इकाई सीसीएल में सेनिटेशन का काम अब डिपार्टमेंटल लगभग पूरी तरह से बंद हो गया है. अब कॉलोनियों में नालियों की सफाई, गार्बेज का उठाव और अस्पतालों सहित अन्य विभाग में सफाई का काम आउटसोर्स के जरिये हो रहा है. वार्षिक रखरखाव (एनुअल मेंटेनेंस) पर सीसीएल की कॉलोनियों में गार्बेज क्लीनिंग का काम किया जाता है. काम लेने वाले संवेदक आउटसोर्स पर मजदूर व ट्रैक्टर लगा कर अब इस काम को कर रहे हैं. पहले यह सारा काम सीसीएल में स्वीपर के पद पर बहाल कर्मी करते थे. सीसीएल में स्वीपरों की कमी का सबसे बड़ा कारण यह रहा कि पुराने सारे लोग धीरे-धीरे रिटायर होते चले गये और वर्ष 1983 के बाद से कोल इंडिया में सफाई मजदूरों (स्वीपरों) की बहाली बंद कर दी गयी. दूसरा एक प्रमुख कारण यह है कि अब कोल इंडिया में केटेगरी-वन के मजदूरों का भी मासिक वेतन इतना हो गया कि अब नये लड़के इस काम को करना नहीं चाहते.

पहले कोल इंडिया की सभी कंपनियों में अपना सेनेटरी डिपार्टमेंट हुआ करता था. हर यूनिट में एक सेनेटरी इंस्पेक्टर होते थे. प्रतिदिन सुबह पांच बजे सेनेटरी इंस्पेक्टर के यहां स्वीपरों की हाजिरी बनती थी तथा कॉलोनी के हिसाब से उनके काम का बंटवारा होता था. हर कॉलोनी की नाली, घरों की नाली की सफाई स्वीपर किया करते थे. साथ ही कॉलोनी में जगह-जगह जमा कोयला की छाई सहित अन्य तरह के गार्बेज का उठाव सीसीएल अपने विभागीय ट्रैक्टर के माध्यम से कराती थी. सफाई का काम आउटसोर्स में दिये जाने के बाद से ठेकेदार की मर्जी पर सारा कुछ निर्भर करता है. काफी कहने के बाद कहीं सफाई का काम होता है, कहीं नहीं. अब हर कॉलोनी में जगह-जगह गार्बेज का ढेर मिल जायेगा. नालियां जाम रहती हैं. अस्पतालों में भी अब पहले की तरह सफाई नहीं दिखती.

कभी सिर्फ बोकारो कोलियरी में थे दो सौ सफाई मजदूर

बीएंडके एरिया की सिर्फ बोकारो कोलियरी में कभी दो सौ सफाई मजदूर (स्वीपर) हुआ करते थे. पूरे बीएंडके एरिया में इसकी संख्या पांच सौ के करीब थी. ईस्टन रेलवे कोलियरी से लेकर एनसीडीसी तथा कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण के बाद तक सफाई मजदूरों की काफी संख्या थी. पहले सिर्फ बोकारो कोलियरी में आधा दर्जन ट्रैक्टर गंदगी को उठा कर फेंकने के लिए चलते थे. आज इसकी संख्या मात्र एक रह गयी है.

डॉ पीआर बनर्जी ने सैकड़ों स्वीपरों को कराया था बहाल

बोकारो कोलियरी के गांंधीनगर बड़ा अस्पताल में एनसीडीसी के समय डॉ पीआर भट्टाचार्य की काफी चलती हुआ करती थी. वह यहां वर्ष 1948 से 1964 तक रहे. उन्होंने अपने कार्यकाल में सैकड़ों सफाई मजदूरों (स्वीपरों) को बहाल कराया था. कहते है अस्पताल में सफाई के लिए जिसको भी बुलाते थे, उन्हें स्थायी रूप से नौकरी पर रख लेते थे. बाद में राष्ट्रीयकरण के बाद वर्ष 1976-78 में अस्पताल के चिकित्सक डॉ एआर बनर्जी के कार्यकाल में भी काफी संख्या में सफाई मजदूरों की बहाली हुुई. उस वक्त के बहाल हुए कई सफाई मजदूर बाद में सेनिटेशन मेट तथा उसके बाद सेनेटरी इंस्पेक्टर के पद तक गये.

चर्चित सेनेटरी इंस्पेक्टर थे रमनी बाबू व विवेकानंद बाबू

बोकारो कोलियरी में पहले रमनी बाबू, विवेकानंद बाबू, आरके सहाय आदि चर्चित सेनेटरी इंस्पेक्टर हुआ करते थे. बाद में सुजीत घोष, नंदकिशोर गोप, मल्लिक बाबू आदि सेनेटरी इंस्पेक्टर बने. वहीं कई चर्चित सफाई मजदूर थे जो बाद में सेनिटेशन मेट बने. इसमें गुजर हाड़ी, गोखुल हाड़ी, रामकृत हाड़ी, दशरथ हाड़ी, बलदेव हाड़ी, दरकू हाड़ी, नालमोहन हाड़ी, मुखलाल हाड़ी, बहादुर हाड़ी आदि हैं. रामकृत हाड़ी अच्छे मूर्तिकार थे. सफाई मजदूरों का सारा कामकाज सेनिटेशन मेट, अस्सिटेंट सेनेटरी इंसपेक्टर, सेनेटरी इंसपेक्टर देखा करते थे. इन सबके ऊपर वेलफेयर ऑफिसर व कोलियरी के मैनेजर हुआ करते थे. सेनेटरी इंस्पेक्टर अस्पताल व सेनिटेशन ऑफिस में जाते थे, जहां रोजाना सफाई मजदूरों की हाजिरी बनती तथा फिर कार्यों का बंटवारा होता था. एक-एक सेनिटेशन मेट एक-एक साइड का जिम्मा ले लेते थे. सेनेटरी इंस्पेक्टर स्वयं साइट का निरीक्षण करते थे. एटक नेता लखनलाल महतो कहते हैं कि अब सीसीएल में सेनिटेशन को पूरी तरह से आउटसोर्स में दे दिया गया है, क्योंकि अधिकतर लोग रिटायर हो गये तथा 90 के दशक से कोल इंडिया में स्वीपरों की बहाली बंद है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें