इशाकचक थाना क्षेत्र स्थित नशा मुक्ति केंद्र में विगत 1 जुलाई को मधेपुरा के ग्वालपाड़ा निवासी अमरेश की मौत मामले में एक नया खुलासा हुआ है. मामले में पुलिस की ओर से की जांच और सीसीटीवी फुटेज के अवलोकन के दौरान इस बात की जानकारी मिली है कि 1 जुलाई को अमरेश की मौत हो जाने से एक दिन पूर्व यानी 30 जून को देर शाम अमरेश को सदर अस्पताल ले जाया गया था. इसमें संचालक सहित नशा मुक्ति केंद्र के अन्य कर्मी शामिल थे. साथ में यह भी खुलासा हुआ है अमरेश को अचेतावस्था में अस्पताल पहुंचाने के बाद बिना इंट्री कराये ही नशा मुक्ति केंद्र के लोग वहां से निकल गये थे. इसकी वजह से अस्पताल प्रबंधन ने अज्ञात के नाम से अमरेश की इंट्री की थी. पर देर रात ही उसकी स्थिति ज्यादा खराब होने के बाद अमरेश को सरकारी एंबुलेंस से मायागंज अस्पताल रेफर कर दिया गया था. वहां उसे मृत घोषित कर दिया गया था. मृतक अमरेश की पत्नी खुशी ने उस वक्त इस बात की जानकारी दी थी कि 30 जून को शाम के वक्त वह अमरेश से मिलने के लिए नशा मुक्ति केंद्र पहुंची थी. पर उसे अगले दिन आने की बात कह कर मिलने नहीं दिया गया. परिजन यह भी आशंका जता रहे हैं कि जिस वक्त अमरेश की पत्नी व अन्य लोग उससे मिलने के लिए नशा मुक्ति केंद्र पहुंचे थे, उस वक्त अमरेश नशा मुक्ति केंद्र में था ही नहीं. बल्कि उसे अस्पताल भेजा जा चुका था. वहीं नशा मुक्ति केंद्र के संचालकों ने परिजनों को अगले दिन मिलने का झूठा आश्वासन दिया था. पुलिस की एक टीम नशा मुक्ति केंद्र के चार नामजद अभियुक्त संचालक सुमित कुमार झा, कथित डाक्टर ज्ञानरंजन कुमार, सीके सिंह और मो अफरोज के साथ साथ सुमित के एक साथी नानू की भी तलाश कर रही है. जिस बिल्डिंग में केंद्र संचालित किया जा रहा था उसके रेंट एग्रीमेंट में सुमित और नानू दोनों का ही नाम शामिल है.
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