राउरकेला. शहर में विगत कुछ दिनों से हरी सब्जियों की कीमतें आसमान छू रही हैं. इसका असर सरकार द्वारा संचालित आहार केंद्रों पर भी पड़ रहा है. यहां पांच रुपये में लोगों को डालमा-भात उपलब्ध कराया जाता है. लेकिन पहले जहां नौ तरह की सब्जियां डालकर डालमा (दाल व सब्जियों से तैयार व्यंजन) तैयार किया जाता था, अब सब्जियों का दाम अधिक होने के कारण इसमें केवल दो या तीन सब्जियां ही नजर आ रही हैं. इसे लेकर आहार केंद्र का संचालन करनेवाली एसएचजी को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
अप्रैल, 2015 में नवीन ने पांच महानगर निगम में आहार केंद्रों का किया था उद्घाटन
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने एक अप्रैल, 2015 को राज्य के पांच महानगर निगम अंचल में आहार केंद्रों का उद्घाटन किया था. गरीब लोगों को पांच रुपये में डालमा-भात खिलाने के लिए यह केंद्र खोले गये थे. इसके अनुसार राउरकेला में छह आहार केंद्र चल रहे हैं. यह योजना शुरू होने के दिन से अक्षय पात्र फाउंडेशन की ओर से पका-पकाया खाना मुहैया कराया जाता था. इसकी देखरेख महानगर निगम करती थी. इस दौरान महानगर निगम की ओर से प्रति थाली 18 रुपये समेत लोगों द्वारा दी गयी पांच रुपये की राशि मिलाकर कुल 23 रुपये प्रति थाली अक्षय पात्र फाउंडेशन को दिये जाते थे.
2022 में एसएचजी को मिली थी आहार केंद्र के संचालन की जिम्मेदारी
राज्य सरकार की ओर से गत 2022 में आहार केंद्रों के संचालन की जिम्मेदारी महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) को दी गयी थी. लेकिन आहार केंद्र में प्रति थाली की दर वही रखी गयी थी. जिसमें अक्षय पात्र फाउंडेशन की तरह एसएचजी को भी प्रति थाली 23 रुपये मिलते हैं. इसमें शहर के छह आहार केंद्रों के लिए छह अलग-अलग एसएचजी को नियोजित किया गया है.
अब आलू, लौकी, पपीता, कुम्हड़ा से चलाया जा रहा है काम
आहार केंद्र में मिलने वाले डालमा में पहले नौ तरह की सब्जियां डाली जाती थीं. लेकिन अब सब्जियां महंगी होने से केवल आलू, पपीता, लाैकी व कुम्हड़ा डालकर काम चलाया जा रहा है तथा नाम के लिए थोड़ी बहुत गाजर डाली जा रही है. इससे आहार केंद्र में मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता पौष्टिकता प्रभावित हो रही है.
सामग्रियों के दाम बढ़े, नहीं बढ़ायी गयी प्रति थाली राशि
ज्योति एसएचजी की अध्यक्ष अलीशा पान्ना ने कहा कि जब हमने जिम्मेदारी ली थी, तब चावल 30 रुपये किलो था. अब चावल 40 रुपये प्रति किलो हो गया है. उस समय अरहर की दाल से डालमा बनती थी. अब अरहर दाल महंगी हो जाने से मूंग दाल का इस्तेमाल हो रहा है. वहीं सब्जियां भी महंगी हो गयी हैं. जिससे 23 रुपये प्रति थाली की कीमत पर अब डालमा-भात मुहैया कराना मुश्किल हाेता जा रहा है. इसे लेकर हम बार-बार विभागीय अधिकारी का ध्यान आकर्षित करा चुके है, लेकिन इसका लाभ नहीं मिला है.
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