कुशेश्वरस्थान पूर्वी. कमला बलान नदी के जलस्तर में कमी आने लगा है. वहीं, कोसी नदी के जलस्तर में वृद्धि लगातार जा रही है. इसे लेकर कमला बलान के पश्चिमी तटबंध से पूरब बसे चार पंचायतों की लगभग 70 से 75 हजार की आबादी बाढ़ की चपेट में आ गयी है. इस क्षेत्र के 12 विद्यालय बाढ़ से प्रभावित हो गयी हैं. इसे लेकर इन विद्यालयों में पठन-पाठन पूरी तरह प्रभावित हो गया है. कमला बलान के पश्चिमी तटबंध से पूरब बसे इटहर, उसड़ी, उजुआ-सिमरटोका तथा तिलकेश्वर पंचायत के अलावा भिंडुआ पंचायत के गोबराही व सुघराइन पंचायत के भरैन मुसहरी दोनों नदियों के पानी से पूरी तरह घिर गया है. कहीं कोसी तो कहीं कमला बलान नदी के पानी के कारण गांव टापू बना हुआ है. इसमें सबसे अधिक इटहर पंचायत बाढ़ से प्रभावित है. इस पंचायत के बरनिया को छोड़कर अन्य सभी गांव की सड़कें बाढ़ के पानी में डूबी हुई हैं. इसके अलावा कुशेश्वरस्थान-फुलतोड़ा मुख्य मार्ग से जुड़े गांव को छोड़कर उसरी, उजुआ-सिमरटोका तथा तिलकेश्वर पंचायत के अन्य गांव की सड़क भी बाढ़ के पानी में डूब गयी है. इससे इन गांव के लोगों को प्रखंड मुख्यालय आने के लिए नाव ही एकमात्र सहारा है. बाढ़ का पानी इटहर पंचायत के मध्य विद्यालय इटहर, समौरा, प्राथमिक विद्यालय लक्ष्मीनिया, इटहर पोखर, चौकिया, बलथरवा, समौरा अजा, उसरी पंचायत के प्राथमिक विद्यालय सगरदीना तथा कोला, उजुआ सिमरटोका पंचायत के प्राथमिक विद्यालय गैईजोरी, बुढ़िया-सुकराती, झाझा अजा तथा कुंजभवन में घुसा हुआ है या विद्यालय तक पहुंच पथ अवरुद्ध हो गया है. इससे विद्यालय का संचालन करना जोखिम भरा है. इस संबंध में बीइओ राम भरोस चौधरी ने बताया कि विद्यालय को बंद करने की अनुशंसा विभाग को भेज दी गयी है. बाढ़ के पानी से खेतों में लगी धान की फसल के डूबने से किसानों में मायूसी है. खेत-खलिहान बाढ़ के पानी में डूबने से पशुओं के लिए हरा चारा का अभाव हो गया है. इस संबंध में सीओ गोपाल पासवान ने बताया कि नदी का उतार-चढ़ाव जारी है. अंचल प्रशासन बाढ़ की स्थिति पर नजर बनाये हुए है. विभिन्न जगहों पर 25 नाव अभी तक चलायी जा रही है.
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