लखीसराय. जिले में कृषि तकनीक को विकसित करने की कोशिश जारी है. वैज्ञानिक व तकनीकी विधि से खेती करने पर किसानों को अच्छे से अच्छे पैदावार प्राप्त हो, इसके लिए कृषि विभाग द्वारा तकनीकी एवं वैज्ञानिक तरीके से खेती करने का बढ़ावा देने को लेकर एक से बढ़कर एक कृषि यंत्र का उपयोग किया जा रहा है. किसानों के कीटों से परेशान होने को लेकर कभी कृषि विभाग के वैज्ञानिक फसल के बचाव के लिए तरह-तरह के उपाय ढूंढते रहते थे, लेकिन अब उनके फसल को कीड़ा नहीं खाये इसके लिए ड्रोन से छिड़काव का तरीका अपनाया गया है. पिछले तीन वर्ष से किसान किराया पर ड्रोन से छिड़काव करते आ रहा है. सबसे अधिक टाल क्षेत्र के दलहन एवं तिलहन के फसल को कीड़ा नष्ट कर दे रहा था. किसानों को कभी-कभी काफी कम फसल का उत्पादन मिल पाता था, लेकिन ड्रोन से छिड़काव करने से किसानों का फसल पूरी तरह कीड़ा रहित हो जाता है. पिछले साल भी कीड़ा से बचाव के लिए ड्रोन से कीटनाशक से छिड़काव किया गया था.
जिले के एक अनुमंडल में एक कृषक को अनुदान की राशि पर उपलब्ध कराया जायेगा एक ड्रोन
जिले के एक अनुमंडल में एक कृषक को अनुदान की राशि पर ड्रोन यंत्र उपलब्ध कराया जायेगा. जिसके लिए कृषि विभाग द्वारा 60 प्रतिशत अनुदान की राशि दी जायेगी. वहीं किसानों को 40 प्रतिशत की राशि देनी होगी. कृषि विभाग को ड्रोन खरीदारी की अनुमति दे दी गयी है. पौध संरक्षण विभाग द्वारा अब कृषकों से ऑनलाइन आवेदन लिया जायेगा. ऑनलाइन आवेदन में से एक प्रगतिशील कृषक का चयन कर उन्हें अनुदान की राशि पर ड्रोन दिया जायेगा. किसान ड्रोन को अन्य किसान को भाड़े पर भी उपलब्ध करा सकते हैं.11 लीटर क्षमता वाला होगा ड्रोन, आठ मिनट में एक एकड़ में किया जा सकता है छिड़काव
एक ड्रोन में 11 लीटर छिड़काव के लिए दवा को रखा जा सकता है. 11 लीटर में तकरीबन 24 से 25 एकड़ जमीन का फसल का छिड़काव हो सकता है. ड्रोन सात से आठ मिनट में एक एकड़ में छिड़काव कर देता है. जो फसल के पौधे से दो मीटर की ऊंचाई पर ड्रोन से छिड़काव किया जाता है. ड्रोन का छिड़काव इतना हैवी होता है कि फसल के जड़ तक ड्रोन पूरी तरह से छिड़काव कर देता है. जिससे कि एक भी कीट के बचने का उपाय नहीं होता है. ड्रोन के छिड़काव से कीट का पूरी तरह नाश हो जाता है एवं किसानों को अच्छी फसल की उपज मिल जाती है. ड्रोन में ऑटोमेटिक उड़ने की क्षमता एवं मैप के अनुसार ही ड्रोन छिड़काव करता है. अगर किसान को एक एकड़ जमीन के फसल को छिड़काव करना है. तो ड्रोन मशीन के ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन को सेट कर दिया जाता है. जिससे कि वह मैपिंग के अनुसार ही एक एकड़ में ही छिड़काव कर रुक जाता है. वहीं ड्रोन नीचे कोई बच्चा या व्यक्ति के आने से वह ऑटोमेटिक वहीं रुक जाता है. बच्चे एवं आदमी के हटने से पुनः ड्रोन छिड़काव करना शुरू कर देता है.बोले अधिकारी
पौध संरक्षण सहायक निदेशक रीमा कुमारी ने बताया कि फिलहाल एक अनुमंडल में एक किसान को अनुदान की राशि पर एक ड्रोन दिया जाना है. ड्रोन किसानों को उपलब्ध कराने के लिए अनुमति मिली हुई है. जल्द ही किसानों से ऑनलाइन आवेदन लेना शुरू कर दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि भविष्य में ड्रोन की खरीदारी की संख्या बढ़ाई जा सकती है. लखीसराय जिला में एक अनुमंडल होने के कारण एक ही किसान को ड्रोन अनुदान की राशि पर देने के लिए चयन किया जा सकता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है