मोतिहारी, पताही. वैसे तो समय की मार हर किसी को झेलनी पड़ती है. लोगों के बेहद करीबी भी अचानक इस दुनिया को अलबबिदा कह जाते है, जिंगदी और मौत भले ही हमारे हाथ में नहीं है, लेकिन अपने किसी बेहद करीबी को अंतिम विदाई देना तो हर किसी के हाथ में है. अगर वह मौका भी किसी को नहीं मिले तो इसे सबसे बड़ा दुर्भाग्य ही कहा जायेगा. इस तरह का ही एक मामला पताही भीतघरवा से सामने आया है, जहां नेपाल बस हादसे में मारे गये रामलाल साह के पुत्र व पुत्रबधु के अंतिम दर्शन परिजनों को नसीब नहीं हुआ. दोनों काठमांडु भगवान पशुपतिनाथ के दर्शन करने गये थे. वापस लौटते समय उनकी बस खाई में गिर गयी.घटना के बाद परिजन भागे-भागे नेपाल गये, लेकिन दोनों का शव उन्हें नहीं मिला.वापस लौटे परिजन मायूस होकर नरेश व उसकी पत्नी रिंकू का पुतला बनाया. दोनों के पुलते को पचाठी पर एक साथ रख कर शमशान घाट ले गये. हिंदु रिति रिजवा के अनुसार दोनों के शव का अंतिम संस्कार किया. मृत नरेश के पिता रामलाल ने रोते हुए बताया कि दुर्भाग्य ऐसा कि बेटा व पतोहू के शव को भी नहीं देख पाये.कास उसकी जगह भगवान हमको ले जाते. यह कह रामलाल कलेजा पीट-पीट कर रोने लगा.बताते चले कि तीन दिन पहले नेपाल में भुस्खलन के कारण त्रिशुल नदी में यात्रियों से भरी दो बसे गिर गयी थी,जिसमें दर्जनों लोग की मौत हो गयी. राहत व बचाव कार्य के बाद भी एक भी यात्रियों का शव अबतक बरामद नहीं हो सका है. उसी में पताही भितघरवा के नरेश और उसकी पत्नी रिंकू भी शामिल है. परिजनों का रो-रो का बूरा हाल है.
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