-सात मुहर्रम पर कमरा मुहल्ला से निकला मेहदी का जुलूस मुजफ्फरपुर. इस्लाम के मतलब ही सलामती है और जो भी इस्लाम का मानने वाला है, उसके दिल में अल्लाह के हर बंदे के लिए हमदर्दी और रहम होगा. इस्लाम का साफ शब्दों मे संदेश है ओर कुरान मे आयात मौजूद है कि जिसने एक इंसान की जान बचाई, उसने पूरी नस्ले इंसानी की हिफाजत की और किसी ने अगर एक बेगुनाह का जान लिया उसने पूरी इंसानियत का खून किया. ये बातें उत्तराखंड के मंगलोर से आए मौलाना गयुर अब्बास ने बड़ा इमामबाड़ा मुहल्ला कमरा में रविवार को मुहर्रम के अशरे की सातवीं मजलिस को खिताब करते हुए कही. उन्होने कहा कि जिस धर्म ने जानवरों तक के हुकूक का खयाल रखा है, वह धर्म इंसानों के प्रति कितना उदार होगा, इसको शब्दों मे बयान नहीं किए जा सकता. उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन ने अपने ऊपर ज़ुल्म बर्दाश्त किया पर किसी पर भी मामूली सा भी ज़ुल्म नहीं किया. हमको इमाम की सीरत से सीख लेना चाहिए और जुल्म के खिलाफ आवाज़ बुलंद करनी चाहिए. इमामबाड़ा की मजलिस से पहले काजिम हुसैन के इमाम चौक पर मेंहदी की मजलिस आयोजित की गयी, जिसको खतीबे अहलेबैत सैयद मो बाकर ने खिताब किया, जिसमें उन्होने हजरत कासिम इब्ने हसन की शहादत को मार्मिक अंदाज में पेश किया. मजलिस के बाद मेहदी का जूलूस बरामद हुआ जो हाय कासिम हाय प्यास के नारे लगाता हुआ बड़ी इमामबाड़ा पहुंचा.
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