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DA case : डीए को लेकर राज्य के सरकारी कर्मचारियों को और करना होगा इंतजार..

DA case : 2022 में डीए मामले पर पहली बार 18 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. मामले की आखिरी सुनवाई पिछले साल 1 दिसंबर को हुई थी. उसी साल 3 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने कहा कि राज्य सरकार के कर्मचारियों के डीए पर और विस्तृत सुनवाई की जरूरत है.

DA case : चार महीने बाद भी सुप्रीम कोर्ट में महंगाई भत्ता (DA) मामले की सुनवाई नहीं हुई. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई स्थगित कर दी गई है. सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए नई तारीख बाद में देगा.सोमवार को वादी पक्ष ने इस संबंध में त्वरित याचिका दायर की. वादियों की वकील फिरदौस शमीम ने अदालत से कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सरकारी कर्मचारियों को दुर्गा पूजा से पहले डीए मिल जाए. इस मामले में राज्य सरकार की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस मामले में लंबी सुनवाई की जरूरत है. न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि मामले की सुनवाई बाद में की जायेगी. सुप्रीम कोर्ट सुनवाई की तारीख का ऐलान बाद में करेगा.

राज्य सरकार के कर्मचारियों के डीए पर विस्तृत सुनवाई की जरूरत

2022 में डीए मामले पर पहली बार 18 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. मामले की आखिरी सुनवाई पिछले साल 1 दिसंबर को हुई थी. उसी साल 3 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने कहा कि राज्य सरकार के कर्मचारियों के डीए पर और विस्तृत सुनवाई की जरूरत है. इसके बाद समय की कमी के कारण मामले की आगे सुनवाई नहीं हो सकी. डीए मामले से जुड़े वकीलों के एक वर्ग का मानना ​​है कि वर्तमान स्थिति में इस मामले का निपटारा होने की संभावना नहीं है. अधिक समय लग सकता है

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राज्य ने आदेश को चुनौती देते हुए खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा

राज्य सरकार के कर्मचारियों के एक वर्ग ने केंद्रीय दरों और महंगाई भत्ते या डीए के बकाया की मांग करते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय में मुकदमा दायर किया था. 20 मई, 2022 को उच्च न्यायालय ने राज्य को कर्मचारियों को केंद्र के समान 31 प्रतिशत की दर से डीए का भुगतान करने का निर्देश दिया था. हाईकोर्ट में राज्य सरकार कर्मचारी परिसंघ, एकता मंच और सरकारी कर्मचारी परिषद की जीत हुई. राज्य इस आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट गया.यह मामला 3 नवंबर, 2022 को सुप्रीम कोर्ट में दायर किया गया था.

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राज्य सरकार के लिए वित्तीय बोझ उठाना मुश्किल

पहली सुनवाई 28 नवंबर को हुई थी. राज्य की ओर से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलीलें रखीं. उनका सवाल था कि हाई कोर्ट के फैसले के मुताबिक अगर डीए देना होगा तो करीब 41 हजार 770 करोड़ रुपये खर्च होंगे. फिलहाल राज्य सरकार के लिए वित्तीय बोझ उठाना मुश्किल है. दूसरी ओर, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मामला लंबित रहने के दौरान डीए में कई बढ़ोतरी की घोषणा की है.

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