Death by Drowning: पटना. कभी तैरनेवाला बिहार आज डूब रहा है. बिहार में रविवार को नदी-तालाब में डूबने से 15 से अधिक लोगों की मौत हो गयी. एक दिन 15 लोगों की डूबने से मौत होने के बाद यह सवाल उठने लगा है कि आखिर तैरने की कला बिहार में लोग भूल कैसे रहे हैं. खासकर पूर्वी बिहार, सीमांचल के जिलों और मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, सीतामढ़ी, सारण व पूर्वी चंपारण में यह आंकड़े और चौंका रहे हैं. डूबने से मरने वालों में तीन लखीसराय, बांका व मुजफ्फरपुर , बेगूसराय व पूर्वी चंपारण में दो-दो, जबकि एक-एक खगड़िया, पूर्णिया, सारण व सीतामढ़ी के रहने वाले बताये जा रहे हैं.
नदी तालाब वाले इलाके में भी समस्या
लखीसराय जिले के सदर प्रखंड की महिसोना पंचायत एवं तेतरहट थाना क्षेत्र के खैरी किऊल नदी घाट पर रविवार को दो युवक की डूबने से मौत हो गई. मृतक तेतरहट बाजार निवासी अजय भगत के पुत्र गौरव कुमार एवं सूर्यगढ़ा थाना क्षेत्र के अलीनगर गांव निवासी व्यास दास का पुत्र सन्नी कुमार था. इधर चानन के बन्नू बगीचा थाना क्षेत्र के सिंघौल गांव निवासी बाबू लाल ठाकुर के छह वर्षीय पुत्र पीयूष की मौत पानी से भरे गड्ढे में डूबने से हो गई. इन तमाम लोगों को तैरना नहीं आता था, जबकि यह बाढ़ और नदी-तालाब वाला इलाका है. इन इलाकों में भी यह समस्या बढ़ती जा रही है.
दक्षिण बिहार में भी तैरने का प्रशिक्षण जरूरी
बांका में रजौन थाना क्षेत्र के चकमुनिया गांव में तालाब में नहाने गए 12 वर्षीय दो बच्चों की डूब कर मौत हो गई. मृतकों में चकमुनिया गांव के मोहम्मद इम्तियाज का पुत्र दिलबर व इसी गांव के मोहम्मद एजाज का पुत्र आर्यन हैं. खगड़िया के बेलदौरान की कैंजरी पंचायत के बांके सिंह गांव में डूबने से तीन वर्षीय बालिका की मौत हो गई. पूर्णिया के बाघमारा गांव में धार में एक बच्ची की डूबने से मौत हो गई. वहीं किशनगंज के पोठिया की नोकट्टा पंचायत के चना नदी में नहाने गई एक आठ वर्षीय बच्ची रोशनी लापता हो गई. इन बच्चों को भी तैरने का कोई प्रशिक्षण नहीं दिया गया था.
लोगों को महसूस होने लगी तैरने की कला
बाढ़ग्रस्त जिलों में से एक मुजफ्फरपुर में रविवार को डूबने से दो लोगों की जान चली गई. पूर्वी चंपारण जिले के डुमरियाघाट थाने के हुसैनी सरेह स्थित पोखरा में डूबने से जहां एक बच्चे की मौत हो गयी. वहीं सारण में भी एक युवक की मछली मारने के दौरान डूबने से मौ हो गयी. बेगूसराय में दो बच्चियों की डूबने से मौत हो गयी. इन तमाम हादसों का सबसे बड़ा कारण बच्चों में तैरने की कला का नहीं होना बताया जा रहा है. समाजसेवी अभिनव सिन्हा कहते हैं कि बच्चों को नदी तालाब में तैरने का प्रशिक्षण की आवश्यकता अब लोगों को महसूस होने लगी हैं. स्कूलों में इस कला को अनिवार्य करने की जरुरत है.