संवाददाता, देवघर.
बांग्ला पंचांग के अनुसार, 16 जुलाई से संक्रांति तिथि पर बांग्ला सावन शुरू हो रहा है, हालांकि गुरु पूर्णिमा के अनुसार श्रावणी मेला 22 जुलाई से प्रारंभ होगा. बांग्ला श्रावण से ही बाबा मंदिर में अलग-अलग समाज की ओर से बेल पत्र की प्रदर्शनी शुरू हो जाती है. बांग्ला सावन को मानने वाले पश्चिम बंगाल, नेपाल आदि कई प्रांतों के शिवभक्तों का आज से बाबा मंदिर में जलार्पण के लिए आना शुरू हो जायेगा. बाबा मंदिर में बेलपत्र प्रदर्शनी व बाबा पर बेलपत्र चढ़ाने की पुरानी परंपरा है. यह वर्षों से चली आ रही है. बांग्ला श्रावण 16 जुलाई मंगलवार कर्क संक्रांति से सभी दलों द्वारा बाबा पर बिल्वपत्र अर्पित किया जायेगा, जो 16, 22 व 29 जूलाई, पांच, 12 व 16 अगस्त को चलेगा. 19 अगस्त को सोमवारी के साथ पूर्णिमा के अनुसार बांग्ला सावन मास का समापन होगा. बाबा मंदिर परिसर में काली मंदिर में जरनेल समाज व देवकृपा वन सम्राट बेलपत्र समाज, तारा मंदिर में बरनेल समाज, लक्ष्मी नारायण मंदिर में मसानी दल एक व मसानी दल दो एवं शांति अखाड़ा समाज, राम मंदिर में राजाराम बेलपत्र समाज, आनंद भैरव मंदिर में पंडित मनोकामना राधे श्याम बेलपत्र समाज के दो दलों द्वारा आकर्षक एवं बाबा के त्रिनेत्र के समान अनोखे पहाड़ी बिल्व पत्रों की प्रदर्शनी लगायी जाती है. शाम लगभग पांच बजे अपने बिल्व पत्र को चांदी व स्टील के बर्तनों पर सजाकर शहर भ्रमण को निकलते हैं. इसके बाद अपनी गद्दी पर इन बिल्व पत्रों की प्रदर्शनी लगायी जाती है. श्रावण मास पर हर सोमवार को सुबह व शाम सभी दलों ने बाबा पर बिल्वपत्र अर्पित करेंगे. ज्ञात हो कि, श्रावण मास के दोनों संक्रांति व इसके अलावा श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को विभिन्न समाज की ओर से आकर्षक प्रदर्शनी लगायी जाती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है