झंझारपुर. मणिपुर के जिरीबाग जिले में सुरक्षा बलों पर कुकी उपद्रवियों द्वारा की गई गोलीबारी में मारे गए मधेपुर के बाकी गांव निवासी सीआरपीएफ जवान अजय कुमार झा के दरवाजे पर बैठे बूढ़े पिता हरिश्चंद्र झा की आंखों से शहादत दिनेश की खबर सुनने के बाद आंसू थमने का नाम नहीं ले रहा है. वे रविवार से ही अपने दरवाजा पर बैठकर अपने पुत्र को आने का इंतजार कर रहे हैं. उन्हे अभी तक विश्वास ही नहीं हो रहा कि उनका व गांव का दुलारा पुत्र उनको छोड़कर इस दुनिया विदा ले लिया है. वे कहते फिर रहे हैं कि अजय ने फोन कर बताया था कि छुट्टी मिल गई है. टिकट भी बन गया है. मंगलवार व बुधवार को गांव मिलने आएगा. इधर मां की ममता भी आंचल फैलाकर अपने लाडले के लिए रो रो कर बार-बार पुकार रही थी. शहीद की पत्नी की चित्कार सुन ग्रामीणों का कलेजा फटा जा रहा था. शहीद के आंगन में पूरा गांव का एकत्र होकर शहीद के पार्थिव शरीर के आने का इंतजार कर रही है. इंतजार में लोगों की आंखों ही आंखों में रात कटी और कब सुबह हुई इन लोगों को पता भी नहीं चला. बूढ़े पिता एकटक दरवाजे पर बैठकर अंतिम बार अपने पुत्र को देखने की लालसा लिए बैठे हैं. लोग बार-बार मोबाइल से अजय के शव आने का समय पूछ रहे थे. अजय की मां रो रो कर लोगों से यही कहते दिख रहे थे कि मेरे लाल ने उन उग्रवादियों का क्या बिगाड़ा था. उस समय का मंजर मातमी सन्नाटा में तब्दील हो गया. लोगों के जुबां ठहर सी गई. जब वृद्ध पिता को लोग देखे तो भीगी आंखो से बार-बार ढांढस बढाते का प्रयास कर रहे थे, लेकिन इन लोगों के खुद आंसू नहीं रुक रहे थे. शहीद अजय की पत्नी अनु देवी का रो रो कर बुरा हाल है. रविवार को जानकारी मिलने के बाद से रोये जा रही है. उनके 18 साल के पुत्र अमन कुमार झा, 11 वर्षीय पुत्री साक्षी कुमारी एवं आठ वर्षीय पुत्र उषाकर कुमार झा अपने मां को बार-बार दिलासा देने में लगे हुए थे, पर मां को चुप करने में ये लोग भी असहज महसूस कर रहे थे. शहीद अजय के बड़े पुत्र अमन बीए पार्ट वन में पटना में रहकर पढ़ाई कर रहा है. वहीं, पुत्री साक्षी छठी और उषाकर तीसरी क्लास में पढ़ रहा है. ये लोग मुजफ्फरपुर सीआरपीएफ कैंप में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं. शहीद अजय दो भाई और एक बहन हैं. भाई विजय कुमार दिल्ली में प्राइवेट नौकरी करते हैं. वहीं बहन की शादी हो चुकी है.
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