ब्रजेश सिंह, जमशेदपुर
बारिश की कमी के कारण नदी में जलस्तर काफी कम हो गया है. ऐसे में नगर निकायों और टाटा स्टील यूआइएसएल द्वारा जल का उठाव तो किया जा रहा है, लेकिन इसका ट्रीटमेंट कर लोगों तक पानी भेजने में काफी परेशानी हो रही है. हालात यह है कि पानी की सफाई कई बार संभव नहीं हो पा रहा है, क्योंकि वाटर ट्रीटमेंट को लेकर केमिकल या फिटकरी का इस्तेमाल भी एक हद तक ही किया जा सकता है, अन्यथा पानी का दुष्प्रभाव पड़ सकता है. इस कारण जितना हो पा रहा है, उतना ट्रीटमेंट कर जलापूर्ति की जा रही है. कई एरिया में तो साफ पानी भी नहीं मिल पा रहा है.जुगसलाई में हो रही गंदे पानी की सप्लाई
जुगसलाई के कई इलाकों में गंदे पानी की सप्लाई की जा रही है. करीब 50 हजार की आबादी इससे प्रभावित है. बताया जाता है कि जुगसलाई की ओर से खरकई नदी से पानी का उठाव किया जाता है, लेकिन हालात यह है कि खरकई नदी सूखी है. गंदा पानी ही मिल रहा है. यहां के कार्यपालक अभियंता सुमित कुमार और मैकेनिकल विभाग के एसडीओ जीतेंद्र प्रसाद ने बताया कि पानी इतना गंदा है कि उसको साफ करना मुश्किल है. पानी का ट्रीटमेंट नहीं हो रहा है. नदी में अगर पर्याप्त पानी नहीं होगा, तो यही हालात रहेगा. डबल ब्लीचिंग पाउडर डाला जा रहा है, फिर भी पानी की सफाई नहीं हो पा रहा है. इससे ज्यादा ब्लीचिंग पाउडर डाल कर पानी की सप्लाई नहीं की जा सकती है.मानगो नगर निगम में भी गंदे पानी की सप्लाई
मानगो नगर निगम इलाके में भी गंदे पानी की सप्लाई हो रही है. हालात बदतर है. इसकी वजह पूछे जाने पर मानगो के पेयजल विभाग के कार्यपालक अभियंता ने बताया कि नदी में पानी काफी कम है. पानी का उठाव के बाद जब ट्रीटमेंट किया जा रहा है, तो उसमें इतना गाद है, गंदगी है कि सफाई नहीं हो पा रही है. सारे ट्रीटमेंट के तरीके भी फेल कर जा रहे हैं. भरोसा है कि बारिश बेहतर होगी, तो निश्चित तौर पर पानी का स्तर नदी में बढ़ेगा, तो पानी की सप्लाई बेहतर हो सकेगी.टाटा स्टील यूआइएसएल एरिया में भी कभी-कभी हो रही गंदे पानी की आपूर्ति
टाटा स्टील के कमांड एरिया में टाटा स्टील यूआइएसएल (पहले जुस्को) द्वारा पानी की आपूर्ति की जाती है. करीब 50 हजार मकानों में टाटा स्टील यूआइएसएल की ओर से पानी की आपूर्ति करती है. इसके तहत कई स्थानों पर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट है. सुवर्णरेखा नदी से भी पानी का उठाव किया जाता है, लेकिन यहां से पानी का उठाव करने के बाद इसकी सफाई मुश्किल हो रही है. डिमना डैम का लेवल भी काफी कम है. यही वजह है कि नदी के पानी पर निर्भरता बनी रह रही है. कई बार ऐसी शिकायतें आयी है कि गंदे पानी की सप्लाई की जा रही है. टाटा स्टील यूआइएसएल की ओर से कहा गया है कि चूंकि, नदी का जलस्तर काफी कम है, इस कारण गंदा पानी नदी से काफी ज्यादा आ रहा है. एक तय सीमा तक ही फिल्टरेशन के लिए कोई भी केमिकल का इस्तेमाल किया जा सकता है. इस कारण ज्यादा सफाई संभव नहीं हो पा रहा है.बिरसानगर मोहरदा जलापूर्ति भी प्रभावित
बिरसानगर मोहरदा जलापूर्ति भी प्रभावित है. वहां भी पानी का उठाव हो रहा है, लेकिन वहां गंदा ही पानी काफी ज्यादा आ रहा है. नदी का प्रदूषण का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. टाटा स्टील यूआइएसएल की ओर से सरकार के साथ हुए एमओयू के तहत ही पानी का ट्रीटमेंट भी हो रहा है और पानी की सप्लाई भी हो रही है, लेकिन यहां भी पानी की सफाई में काफी दिक्कत हो रही है. यहां करीब 11300 से अधिक का कनेक्शन है. 2017 में टाटा स्टील यूआइएसएल को यह प्रोजेक्ट हैंडओवर कर दिया गया था.पानी का क्वालिटी ऐसा होना चाहिए
टीडीएस का इस्तेमाल पानी की प्योरिटी चेक करने के लिए किया जाता है. इसके जरिए पता लगाया जाता है कि पानी पीने लायक है या नहीं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक अगर पानी का टीडीएस लेवल 100 से 250 पीपीएम (पार्ट्स प्रति मिलियन) है, तो यह पानी बिल्कुल सही है. वहीं अगर इसकी मात्रा इससे कम या ज्यादा है, तो यह सही नहीं. इसी तरह पीएच लेवल दर्शाता है कि पानी कितना हार्ड है और कितना सॉफ्ट है. पीएच 7 मतलब पानी शुद्ध. अगर पानी का पीएच लेवल 7 से नीचे है, तो इसे हार्ड वॉटर माना जाता है. इसे एसिडिक यानी अम्लीय पानी कहते हैं. अगर पानी का पीएच लेवल 7 से ज्यादा है तो इसे ऐल्कलाइन यानी क्षारीय पानी कहा जाता है. पीने योग्य पानी का पीएच लेवल 7 से 8 के बीच हो, तो बेहतर होता है. ओआरपी मतलब ऑक्सीडेशन रिडक्शन पोटेंशियल, पानी में ओआरपी की मात्रा नेगेटिव 1500 (-1500) एमवी से लेकर प्लस 1500 (1500) एमवी तक हो सकता है. ओआरपी जितना ज्यादा निगेटिव होगा, पानी उतना साफ माना जाता है. मतलब अगर किसी जगह के पानी का ओआरपी माइनस 400 एमवी है, तो वह पानी बहुत ही साफ है. वहीं अगर ओआरपी प्लस 400 है, तो वह पीने लायक नहीं है. पीने वाले पानी का ओआरपी 400 एमवी से माइनस 200 एमवी के बीच होना सही माना जाता है.सुवर्णरेखा और खरकई नदी का जलस्तर पांच साल में सबसे निचले स्तर पर है. पानी की कमी की स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पांच साल में खरकई और सुवर्णरेखा नदी का जलस्तर सबसे निचले स्तर पर है. यह बताता है कि किस तरह खतरनाक स्थिति उत्पन्न हो चुकी है.
पांच साल में सुवर्णरेखा व खरकई नदी का जलस्तर
साल—–सुवर्णरेखा नदी——–खरकई नदी2020-115.840 मीटर——124.380 मीटर2021-116.780 मीटर—–124.420 मीटर2022-115.340 मीटर—–124.340 मीटर2023-115.180 मीटर—–124.330 मीटर2024-115.000 मीटर—–124.130 मीटरडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है