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सरकारी विद्यालयों में लगाएं सबमर्सिबल पंप जांच दायरे में, डीइओ ने जारी किया पत्र, हड़कंप

विद्यालयों में लगाएं सबमर्सिबल पंप जांच दायरे में

किशनगंज जिले के सरकारी स्कूलों में लगाए गए सबमर्सिबल पंप अब जांच के दायरे में है. प्रभारी जिला शिक्षा पदाधिकारी जफर आलम ने जिले के उन सभी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को पत्र लिखकर उनके स्कूल में लगे सबमर्सिबल पंप के मामले में पूरी जानकारी मांगी है. इस मामले में मंगलवार को पत्र लिखकर प्रभारी जिला शिक्षा पदाधिकारी जफर आलम ने कहा कि 2023 -24 में समग्र शिक्षा अंतर्गत पेयजल की राशि के व्यय के लिए ड्राइंग लिमिट निर्धारित की गयी थी. जिसमें जिले के 109 प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों को ढाई लाख और 64 उच्च विद्यालयों को 272000 ( दो लाख बहतर हजार रुपये ) की दर से ड्राइंग लिमिट दी गयी थी. इस आदेश के बाद केवल 93 प्राथमिक और मध्य विद्यालयों तथा 58 उच्च विद्यालयों के द्वारा राशि की निकासी की गयी.

सबमर्सिबल पंप के मामले में तीन दिनों में मांगा जवाब

इस पत्र के माध्यम से प्रभारी जिला शिक्षा पदाधिकारी जफर आलम ने स्कूलों से यह स्पष्ट करने को कहा है कि राशि निकासी का आधार क्या था ? मानक के अनुरूप बोरिंग कितना फीट किया जाना था और कितना फीट कराया गया है. राशि की निकासी मापी पुस्तिका के अनुरूप की गयी है या नहीं ? इस मामले में प्रभारी जिला शिक्षा पदाधिकारी जफर आलम ने तीन दिनों के अंदर सभी संबंधित स्कूलों से जवाब मांगा है.

क्या थी योजना

बताते चले सरकारी स्कूलों में गर्मी के दिनों में बच्चों को पानी की दिक्कत नहीं हो इसके लिए विभाग ने स्कूलों में सबमर्सिबल पंप लगाने निर्णय लिया था. शिक्षा विभाग ने इसके लिए प्रति स्कूल ढाई लाख से दो लाख सतर हजार रुपये खर्च कर 250 से 300 फीट की गहराई में बोरिंग कर सबमर्सिबल पंप लगाने का निर्देश दिया था. इसी के साथ विद्यालय में पानी की टंकी स्थापित करने के साथ हैंडवाश स्टेशन का भी निर्माण किया जाना था. हैंडवाश स्टेशन में आधा दर्जन से अधिक नल लगाए जाने थे. जिससे कि स्कूली बच्चों को पीने के लिए शुद्ध पेयजल के साथ हाथ धोने व शौचालय के उपयोग में परेशानी का सामना नहीं करना पड़े.

स्कूलों की छतों पर लगानी थी टंकी

शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार जिले के स्कूलों में गर्मी के दिनों में बच्चों को चापाकल के आगे लाइन लगने से छुट्टी दिलाने के उद्देश्य से यह योजना लागू की गई थी. इस योजना में स्कूलों की छतों पर टंकी स्थापित कर पानी का स्टोर भी किया जाना था. जिससे बार-बार चापाकल खराब होने के झंझट से भी छुटकारा मिल जाता है. आमतौर पर गर्मी के दिनों में पानी की अधिक आवश्यकता होती है. लेकिन स्कूलों में पानी के सीमित स्रोत होते हैं. जिसकी वजह से कई स्कूलों में गर्मी के दिनों में जल संकट उत्पन्न हो जाता है. किसी स्कूल में चापाकल का पानी भी सुख जाता है. वहीं लोड बढ़ने से बार-बार चापाकल खराब होने की समस्या भी सामने आती रहती है. जिले के स्कूलों में बोरिंग होने के बाद छात्र-छात्राओं को सहुलियत होगी. विद्यालय में सालों भर पानी की उपलब्धता बनी रहेगी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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