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सुप्रीम कोर्ट ने जवाब दाखिल करने का दिया आखिरी मौका

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल के सरकारी और सहायता प्राप्त विद्यालयों में 25,753 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति को अमान्य करार देने वाले कलकत्ता हाइकोर्ट के आदेश को चुनौती देनेवाली याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने का आखिरी मौका दिया.

25,753 शिक्षकों की नियुक्ति रद्द करने के हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाईएजेंसियां, कोलकाता/नयी दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल के सरकारी और सहायता प्राप्त विद्यालयों में 25,753 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति को अमान्य करार देने वाले कलकत्ता हाइकोर्ट के आदेश को चुनौती देनेवाली याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने का आखिरी मौका दिया. उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दायर एक याचिका भी शामिल है. इस मामले पर उच्च न्यायालय के 22 अप्रैल के फैसले से संबंधित 33 याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे उच्चतम न्यायालय ने इन पर अंतिम सुनवाई के लिए तीन महीने बाद का समय तय किया है. सुनवाई शुरू होने पर प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) डीवाइ चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ को सूचित किया गया कि कई पक्षों ने जवाबी हलफनामा दायर नहीं किया है. पश्चिम बंगाल सरकार ने भी उन मामलों में अपना जवाब दाखिल नहीं किया है, जहां उसे प्रतिवादी बनाया गया है. प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा : ठीक है, हम उन्हें एक मौका देंगे. आज तक कोई जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया गया है. यदि कोई भी प्रतिवादी जवाब दाखिल करना चाहता है, उन्हें दो सप्ताह या उससे पहले दाखिल करना होगा. यदि कोई जवाबी हलफनामा दायर नहीं किया जाता है, तो जवाबी हलफनामा दायर करने का अधिकार समाप्त हो जायेगा. पीठ ने कई प्रक्रियात्मक निर्देश भी जारी किये और चार वकीलों को नोडल वकील नियुक्त किया. साथ ही उन्हें विभिन्न पक्षों के वकीलों से विवरण प्राप्त करने के बाद इलेक्ट्रॉनिक रूप में एक सामान्य संकलन दाखिल करने के लिए कहा. न्यायालय ने राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाली वकील आस्था शर्मा, शालिनी कौल, पार्थ चटर्जी और शेखर कुमार को नोडल वकील नियुक्त किया. सीजेआइ ने कहा : अगर हम यह कवायद नहीं करते हैं, तो फैसला लिखना मुश्किल हो जायेगा. शीर्ष अदालत ने सात मई को पश्चिम बंगाल के शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को बड़ी राहत दी थी, जिनकी सेवाओं को नियुक्ति प्रक्रिया में अनियमितताओं के आधार पर उच्च न्यायालय ने अमान्य करार दे दिया था. हालांकि, उसने सीबीआइ को अपनी जांच जारी रखने की अनुमति दी थी और कहा था कि जरूरत पड़ने पर वह राज्य मंत्रिमंडल के सदस्यों की भी जांच कर सकती है.

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