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Indian Railway: ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते बच्चों की बन रही है जीवन रेखा

Indian Railway: वर्ष 2018 से 2024 तक के आंकड़े रेलवे सुरक्षा बल(आरपीएफ) के समर्पण की कहानी को प्रदर्शित करता है. इसे सिर्फ एक ऑपरेशन तक सीमित नहीं किया जा सकता है. यह उससे कहीं अधिक है. यह समाज के सबसे असुरक्षित सदस्यों के सुरक्षा के लिये आरपीएफ की प्रतिबद्धता की एक प्रमाण है.

Indian Railway: हर साल लाखों बच्चे गुम हो जाते हैं. गुम होने वाले बच्चों को बचाने में रेलवे ने अहम योगदान दिया है. पिछले सात साल में रेलवे सुरक्षा बल का ‘नन्हे फरिश्ते’ अभियान के तहत स्टेशनों और ट्रेनों में खतरे में पड़े 84119 बच्चों को बचाने का काम किया है. रेल मंत्रालय के मुताबिक यह एक अभियान नहीं, बल्कि यह उन हजारों बच्चों के लिए जीवन रेखा है जो खुद को खतरे में पाते हैं. यह एक मिशन है, रेलवे के विभिन्न जोनों में पीड़ित बच्चों को बचाने के लिये समर्पित है. वर्ष 2018 से 2024 तक के आंकड़े रेलवे सुरक्षा बल(आरपीएफ) के समर्पण की कहानी को प्रदर्शित करता है. इसे सिर्फ एक ऑपरेशन तक सीमित नहीं किया जा सकता है. यह उससे कहीं अधिक है. यह समाज के सबसे असुरक्षित सदस्यों के सुरक्षा के लिये आरपीएफ की प्रतिबद्धता की एक प्रमाण है.

हजारों बच्चों को बचाने में मिली सफलता

वर्ष 2018 ‘नन्हे फरिश्ते’ को शुरू किया गया था. इस साल अब तक इस अभियान के तहत 17112 बच्चों को बचाया गया है. बचाए गए 17112 बच्चों में से 13187 बच्चों की पहचान भागे हुए बच्चों के रूप में की गई, 2105 लापता पाए गए, 1091 बच्चे बिछड़े हुए, 400 बच्चे निराश्रित, 87 अपहृत, 78 मानसिक रूप से विक्षिप्त और 131 बेघर बच्चे थे. 
वर्ष 2020 में कोरोना महामारी की चुनौतियों के बावजूद 5011 बच्चों को बचाने में कामयाबी हासिल की थी. वर्ष 2019 में 15932 बच्चों को बचाया गया, जिसमें 15932 बच्चों में से 12708 भागे हुए, 1454 लापता, 1036 बिछड़े हुए, 350 निराश्रित, 56 अपहृत, 123 मानसिक रूप से विक्षिप्त और 171 बेघर बच्चे थे. वर्ष 2021 में 11907 बच्चों को बचाया गया, जबकि वर्ष 2023 में 11794 बच्चों को बचाने का काम किया गया.

 अभियान के तहत लोगों मे बढ़ी जागरूकता

रेलवे सुरक्षा बल के इस अभियान ने, न केवल बच्चों को बचाया है, बल्कि घर से भागे हुए और लापता बच्चों की दुर्दशा के बारे में जागरूकता भी बढ़ायी  है. आरपीएफ का ऑपरेशन का दायरा भी बढ़ रहा है, रोज नयी चुनौतियों का सामना कर रेलवे के विशाल नेटवर्क में बच्चों के लिये एक सुरक्षित वातावरण बनाने का प्रयास भी कर रहा है. ट्रैक चाइल्ड पोर्टल पर बच्चों की पूरी जानकारी उपलब्ध रहती है. देश के 135 से अधिक रेलवे स्टेशनों पर चाइल्ड हेल्प डेस्क उपलब्ध है.आरपीएफ मुक्त कराए गए बच्चों को जिला बाल कल्याण समिति को सौंपती है, जिसे जिला बाल कल्याण समिति बच्चों को उनके माता-पिता को सौंप देती है.

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