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जिले में सबसे कम झंझारपुर प्रखंड में 66.2 एमएम हुई बारिश

पिछले एक सप्ताह से बारिश नहीं होने की वजह से सुखाड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है. जबकि मानसून के आए एक महीना बीत गया है. अनुमंडल के किसान बारिश नहीं होने से बेहाल हैं.

झंझारपुर. पिछले एक सप्ताह से बारिश नहीं होने की वजह से सुखाड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है. जबकि मानसून के आए एक महीना बीत गया है. अनुमंडल के किसान बारिश नहीं होने से बेहाल हैं. पंप सेट से खेत में पानी डालकर खेती करने में जुटे हैं. एक ओर कमला व कोसी नदी में जलस्तर में उछाल है. दूसरी तरफ बांध के पार व अन्य किसानों के खेतों में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. विदित हो कि जुलाई माह में घान रोपनी चरम पर रहती है. माह के प्रथम दो सप्ताह में टारगेट की 50 फीसदी रोपनी हो जाता था. लेकिन इस वर्ष 14 जुलाई तक मात्र 8.42 प्रतिशत ही रोपनी हो सका है. यह प्रतिशत भी नहर में पानी आने के कारण नहर किनारे की कुछ जमीन में रोपनी से 8.42 प्रतिशत दिख रहा है. अन्यथा पंप सेट से खेतों में पानी देकर धान की रोपनी करना और पैदावार उगा लेना किसानों के बस की बात नहीं है. मधेपुर प्रखंड के कोसी दियारा इलाके में पिछले एक सप्ताह पूर्व तक कोसी नदी भी किसानों पर पूरी तरह से मेहरबान थी. जहां किसानों ने दिन रात एक करके खेतों में धान की सिंचाई शुरू ही किया. कोसी व बलान नदी उफना गई. जिस कारण किसानों की कई एकड़ में लगे धान की फसल बाढ में पूरी तरह से चौपट हो गया. खेत पूरी तरह से जलमग्न हो गया. खेतों में पानी अब पूरी तरह से सूख चुका है. जहां एक तरफ इंद्र देवता आसमान से आग बरसा रहे हैं. मालूम हो कि बीते वर्ष की सूखाड़ किसान अभी भूल भी नहीं पाए हैं. फिर से ऐसी हालत से किसान सकते में आ गये हैं. कोसी दियारा इलाके के द्वालख गांव के किसान संतलाल मंडल, पुली लखाना एवं विजय यादव, भैरवस्थान व शंकरपुर के किसान विनोद झा, मगनू झा, प्रदीप झा,राश बिहारी झा, सुशील मंडल, गुलाम चौधरी, खुशी चौपाल, हाजरा पासवान कहते हैं कि वर्षा पर आश्रित रहते हैं. बेलारही के किसान शीला देवी, मुनेसर यादव, सुरेश यादव, सुनीता देवी ने बताया कि धान बीज अब जलने लगे हैं. पीले होने लगे है. धान रोपनी के लिए झंझारपुर प्रखंड में 7056 हेक्टेयर जमीन चिन्हित है. लक्ष्य भी 7056 हेक्टेयर रखा गया है. अब तक 594 हेक्टेयर जमीन में ही धान रोपनी हो सका है. कृषि समन्वयक विजय कुमार ने बताया कि 8.42 प्रतिशत रोशनी काफी कम है. किसान सलाहकार मनोज कुमार ठाकुर ने बताया कि 14 जुलाई तक 45 से 50 प्रतिशत टारगेट पूरा हो जाता था. झंझारपुर प्रखंड में मात्र 66.2 मिलीमीटर वर्षा दर्ज हुई है. यह जिले में सबसे कम है. जिले की औसत वर्षा 150 एमएम है. जिले में खुटौना प्रखंड में सबसे अधिक 386 मिली मीटर वर्षा रिकार्ड की गई है. दूसरा स्थान लौकही का है जहां 275 मिमी वर्षा हुई है. औसत से ज्यादा वर्षा होने वाले प्रखण्ड में लदनिया 229 एमएम, बाबूबरही 218 एमएम, अंधराठाढ़ी 182 एमएम, बासोपट्टी 159 एमएम, बेनीपट्टी 154 एमएम है. कुल मिलाकर 66.02 मिलीमीटर वर्षा झंझारपुर में हुई. इतनी वर्षा में खेतों की हालत ठीक नही है. धान के लिए 325 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश की जरूरत होती है. वो भी कुछ दिनों तक लगातार या रुक रुक कर.

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