रांची. झारखंड हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन में 75% तक दिव्यांग हो चुके कमांडेंट को पदोन्नति से वंचित नहीं करना चाहिए. जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत ने वरीयता सूची में संशोधन करने और उसके अनुसार डिप्टी कमांडेंट रविशंकर मिश्र को प्रोन्नति देने का निर्देश दिया है. अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि जिस अफसर ने अपना पूरा जीवन फोर्स को दे दिया, नक्सलियों से लड़ते हुए अपने शरीर को खो दिया, उस अफसर को बिना किसी गलती के वरीयता सूची से वंचित नहीं रखना चाहिए.
2014 के नक्सली हमले में हुए थे घायल
जब रवि शंकर मिश्र नक्सली हमले में घायल हुए, उस दौरान वह चतरा जिले में नक्सल ऑपरेशन की कमान संभाल रहे थे. अपनी प्रतिनियुक्ति के दो वर्ष तक नक्सलियों के खिलाफ कई ऑपरेशन में शामिल डिप्टी कमांडेंट रवि शंकर मिश्रा वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान नक्सलियों द्वारा किये गये ब्लास्ट में गंभीर रूप से घायल हुए थे.
रवि शंकर मिश्र ने दायर की थी याचिका
रवि शंकर मिश्र ने हाइकोर्ट में याचिका दायर कर वरीयता सूची में संशोधन करने और वरीयता सूची के मुताबिक प्रमोशन देने का आग्रह किया था. कहा गया था कि वर्ष 2012 में सीआरपीएफ के डिप्टी कमांडेंट पद पर प्रतिनियुक्ति पर झारखंड आये रवि शंकर मिश्र एक नक्सली हमले में गंभीर रूप से घायल हो गये थे. इसके बाद लंबे समय तक उनका इलाज दिल्ली एम्स में चला. जहां उनका स्वास्थ्य बेहतर तो हुआ, लेकिन उनके शरीर के कई अंगों ने पहले की तरह काम करना बंद कर दिया. 10 अगस्त 2022 को मेडिकल बोर्ड को उनके स्वास्थ्य की समीक्षा करनी थी, लेकिन इसी दिन इनसे जूनियर पद पर पदस्थापित अफसरों को पदोन्नति दे दी गयी और उनकी वरीयता नीचे चली गयी.
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