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पंचायत विकास सूचकांक के लिए नहीं मिला डाटा, विभाग ने जतायी आपत्ति

पंचायत विकास सूचकांक के लिए नहीं मिला डाटा, विभाग ने जतायी आपत्ति

मुजफ्फरपुर. पंचायत विकास सूचकांक तय करने के लिए डाटा उपलब्ध नहीं कराए जाने पर पंचायती राज विभाग के उपसचिव ने कड़ी आपत्ति की है. डीडीसी को इस संबंध में पत्र लिख बताया है कि प्रखंड से डाटा अपलोड नहीं किया जा रहा है. इसकी वजह से राज्य की पंचायतों को राष्ट्रीय पुरस्कार से वंचित रहना पड़ सकता है. अपर सचिव कल्पना कुमारी ने कार्य को प्राथमिकता के साथ करने को कहा है. इन बिंदुओं पर मांगी रिपोर्ट

पंचायत विकास सूचकांक नौ विषयों पर विचार करता है, जिनमें गरीबी मुक्त और उन्नत आजीविका, स्वस्थ गांव, बाल-सुलभ गांव, जल-पर्याप्त गांव, स्वच्छ और हरित गांव, आत्मनिर्भर बुनियादी ढांचा, सामाजिक रूप से न्यायसंगत एवं सुरक्षित गांव, सुशासन तथा महिला-अनुकूल गांव शामिल हैं.

पंचायत विकास सूचकांक के लाभ

पंचायत विकास सूचकांक का उपयोग पंचायती राज पुरस्कारों और विकास के लिये डेटा-संचालित एवं साक्ष्य-आधारित दृष्टिकोण के लिए किया जा सकता है. पंचायतों तथा अन्य संस्थाओं द्वारा कार्यान्वित योजनाओं के निर्माण, निगरानी और मूल्यांकन करने के लिए एक उपकरण के रूप में कार्य करता है.

रैंकिंग और वर्गीकरण:

पंचायत विकास सूचकांक, ज़िला, ब्लॉक और गाँव सहित विभिन्न स्तरों पर पंचायतों को उनके कुल स्कोर के आधार पर रैंकिंग करता है. पंचायतों को चार ग्रेडों में वर्गीकृत किया गया है: D (स्कोर 40% से कम), C (40-60%), B (60-75%), A(75-90%) और A (90% से ऊपर)

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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