संवाददाता, कोलकाता
देश की पहली बहुउद्देश्यीय नदी घाटी परियोजना दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) को कंपनी का रूप दिया जायेगा. इसकी दक्षता बढ़ाने के लिए कंपनी को पारेषण, उत्पादन और वितरण क्षेत्र की इकाइयों में बांटा जायेगा. एक अधिकारी ने बुधवार को यह बात कही.
यहां डीवीसी मुख्यालय में एक समीक्षा बैठक के दौरान केंद्रीय बिजली मंत्री मनोहर लाल ने निगम की सराहना करते हुए इसके कारोबार को अलग किये जाने के काम में तेजी लाने को कहा. उन्होंने निदेशक मंडल से अपनी विस्तार योजनाओं के लिए संसाधन जुटाने को लेकर आइपीओ (आरंभिक सार्वजनिक निर्गम) का रास्ता टटोलने का भी सुझाव दिया.
डीवीसी केंद्र के बिजली मंत्रालय के अधीन काम करता है. 1948 में स्थापित, डीवीसी पश्चिम बंगाल और झारखंड में एक एकीकृत प्रमुख बिजली कंपनी है. डीवीसी के चेयरमैन एस सुरेश कुमार ने समीक्षा बैठक के बाद कहा: कंपनी रूप देने की योजना एजेंडा में थी, लेकिन मंत्री इस प्रक्रिया में तेजी लाना चाहते हैं. केंद्र, पश्चिम बंगाल और झारखंड सरकारों के बीच मौजूदा हिस्सेदारी बरकरार रहेगी. एक सूत्र ने कहा कि इस मामले में केंद्र और दोनों राज्यों की राय लगभग एक जैसी है.
डीवीसी ने तापीय और हरित ऊर्जा में लगभग 10,000 मेगावाट की अतिरिक्त क्षमता स्थापित करने की योजना बनायी है. इससे इसकी कुल स्थापित क्षमता लगभग 16,700 मेगावाट तक हो जायेगी. इसमें 3,720 मेगावाट ताप बिजली, 4,000 मेगावाट सौर ऊर्जा और 2,500 मेगावाट पंप स्टोरेज बिजली संयंत्र शामिल होगा. डीवीसी की वर्तमान स्थापित क्षमता लगभग 6,700 मेगावाट है.
इसमें से 6,540 मेगावाट तापीय बिजली है. डीवीसी का कुल पूंजीगत व्यय 50,000-60,000 करोड़ रुपये के बीच होने का अनुमान है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है