Bihar News: किसी भी क्षेत्र के विकास में यातायात की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. अगर यह यातायात की सुविधा जमीन से आसमान तक हो तो इलाका विकसित होने के कगार पर खड़ा है. अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटा बिहार का सुपौल जिला यातायात के मामले में तेजी से आगे बढ़ता दिख रहा है. सड़क और रेल के मामले में काफी हद तक विकसित हो चुका यह जिला अब हवाई के क्षेत्र में लंबी छलांग लगाने को बेताब दिख रहा है.
जमीन सिविल विमानन निदेशालय को हस्तांतरित की गयी
नेपाल सीमा से सटे वीरपुर में 1960 में हवाई अड्डे का निर्माण कराया गया था, जहां से घरेलू उड़ान भरने के लिए कोसी परियोजना के मुख्य अभियंता ने हवाई अड्डे की 62.16 एकड़ जमीन सिविल विमानन निदेशालय को हस्तांतरित कर दी. हस्तांतरित की गयी जमीन में 8.06 एकड़ जमीन कोसी योजना जल संसाधन विभाग एवं 54.10 एकड़ जमीन भारत सरकार की है. दुर्भाग्य है इतनी जमीन रहने के बाद भी यहां से उड़ान भरने की व्यवस्था शुरू नहीं हो पायी.
यहां भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान की हो चुकी है इमरजेंसी लैंडिंग
जानकारी के अनुसार 1969 के अक्तूबर के प्रथम सप्ताह में इस हवाई अड्डे पर भारतीय वायुसेना के लड़ाकू डकोटा विमान की इमरजेंसी लैंडिंग करायी गयी थी. इतना ही नहीं 03 जनवरी 1975 को तत्कालीन रेल मंत्री स्व ललित नारायण मिश्र के निधन पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आने के क्रम में इस हवाई अड्डे पर 18 जहाज तथा चार हेलीकॉप्टर की लैंडिंग करायी गयी थी.
लाउंज का हो चुका है निर्माण
जमीन हस्तांतरित किए जाने के बाद हवाई अड्डा परिसर में पीडब्ल्यूडी ने लाउंज का निर्माण कराया है. जनवरी, 2023 में बीएमपी बेगूसराय, कटिहार, भीमनगर के कमांडेंट के साथ तत्कालीन एसडीएम कुमार सत्येंद्र यादव ने हवाई अड्डे का निरीक्षण किया था. इसके बाद स्पेशल ब्रांच के पदाधिकारी ने हवाई अड्डे का निरीक्षण किया. इससे यह उम्मीद जगने लगी है कि निकट भविष्य में वीरपुर हवाई अड्डे से घरेलू उड़ान के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिया जा सकता है.
लोकसभा चुनाव में एयर एंबुलेंस की हुई थी व्यवस्था
चुनाव आयोग ने इस साल पहली बार लोकसभा चुनाव में एयर एंबुलेंस की व्यवस्था की थी. एयर एंबुलेंस में पांच सदस्यीय टीम आयी थी. इनमें दो चिकित्सक, दो पायलट और एक स्वास्थ्य कर्मी शामिल था. चुनाव को लेकर खास तौर पर निर्वाचन आयोग द्वारा एयर एंबुलेंस भेजा गया था, ताकि चुनाव के दौरान पूरे सुपौल लोकसभा क्षेत्र में यदि जरूरत पड़ती, तो इसका उपयोग किया जा सके.
22 करोड़ की लागत से रनवे की करायी गयी थी मरम्मत
2008 में आयी प्रलयंकारी बाढ़ के बाद 22 करोड़ की लागत से वीरपुर हवाई अड्डे के रनवे की मरम्मत करायी गयी थी. 18 अगस्त, 2008 को आयी प्रलयंकारी बाढ़ ने इस हवाई अड्डे को तहस-नहस कर दिया था.
जल्द शुरू कराया जायेगा काम : डीएम
कुछ दिन पूर्व हवाई अड्डे के जीर्णोद्धार को लेकर पांच करोड़ रुपये का टेंडर निकाला गया था, जो फाइनल हो गया है. जल्द ही निर्माण कंपनी द्वारा कार्य शुरू किया जायेगा.
कौशल कुमार, जिलाधिकारी, सुपौल