गया. नगर निगम के कर्मचारियों को करीब 12 वर्षों तक मिले एसीपी की अब उनके वेतन से कटौती हो रही है. इससे एक तरफ कर्मियों में रोष है, तो दूसरी ओर कर्मचारी यूनियन के नेता आंदोलन की तैयारी में हैं. इधर अधिकारियों व विभाग की ओर से इस कटौती को उचित व नियमानुकूल बताया जा रहा है. कर्मचारियों का कहना है कि कुछ पार्षदों की मिलीभगत से यह कटौती शुरू हुई है. किसी कर्मचारी के वेतन से 17 तो किसी के वेतन से 30 हजार तक एसीपी वसूली के लिए वेतन से कटौती की जा रही है. गौरतलब है कि कर्मचािरयों को 2011 दिसंबर से एसीपी ( आश्वासित कैरियर प्रगति स्कीम ) का लाभ मिल रहा था. एसीपी लागू करने के लिए निगम में एक कमेटी का गठन कर रिपोर्ट मांगी गयी थी. रिपोर्ट आने के बाद जनवरी 2012 में तत्कालीन नगर आयुक्त ने कर्मचारियों को एसीपी देने का आदेश जारी कर दिया. आदेश में कहा गया कि दिसंबर 2011 से इसे लागू किया जाये. इसके बाद यहां के कर्मचारियों को एसीपी का लाभ मिलने लगा. इसी बीच विभाग की ओर से निर्देश मिलने के बाद अप्रैल 2024 से कर्मचारियों को दिये गये पहले एसीपी मद की वसूली शुरू करने के लिए नगर आयुक्त अभिलाषा शर्मा ने पत्र जारी किया. एसीपी को लेकर कर्मचारी हाइकोर्ट चले गये. उसके बाद इस मामले में परत दर परत खुलासा होने लगा. 2019 में नगर विकास एवं आवास विभाग के विशेष सचिव संजय कुमार ने नगर आयुक्त को पत्र देकर कहा कि कोर्ट के पारित आदेश का अनुपालन नहीं करने के संबंध में कर्मचारियों की ओर से सीडब्ल्यूजेसी हाइकोर्ट में दायर किया गया है. इसमें विभाग की आरे से साफ निर्देश है कि निकायकर्मियों को एसपी का लाभ नहीं देना है. कोर्ट के आदेश का नियमानुसार पालन कर सूचना दी जाये. इसके बाद 2021 में नगर आयुक्त सावन कुमार ने निगम के स्थापना पदाधिकारी को स्पष्टीकरण जारी देने का निर्देश देते हुए कहा कि नगर निगम पर सरकार के कर्मचारियों के लिए जारी एसीपी का निर्देश लागू नहीं है. विभागीय स्तर पर इस संबंध में कोई निर्देश नहीं जारी किया गया है फिर भी एसीपी का लाभ कैसे कर्मचारियों को दिया जा रहा है. सरकार के उप सचिव अजय कुमार ने 10 जून को सभी निकायों को पत्र भेज कर साफ कर दिया कि यह स्पष्ट है कि हाइकोर्ट के निर्देश के बाद विभाग की ओर से आदेश निर्गत किया गया है कि निकायों में कर्मचारियों को एसीपी का लाभ देने का कोई प्रावधान नहीं है. यदि कर्मचारियों को एसीपी का लाभ स्थानीय स्तर पर दिया जाता है, तो यह पूरी तौर से अनियमितता है. कर्मचारी यूनियन के नेता अमृत प्रसाद ने कहा कि किसी कर्मचारी को प्रोमोशन नहीं दिया जाता है, तो उसे नौकरी काल में एक तय अंतराल में एसीपी का लाभ दिया जाता है. नौकरी में तीन बार इसका लाभ मिलता है, ताकि प्रमोशन नहीं मिलने पर भी उनके हक का वेतन दिया जाये. 83-84 में राज्यपाल की ओर से संकल्प जारी कर कहा गया कि राज्य सरकार के कर्मियों की तरह ही निकायकर्मियों को भी हर तरह की सुविधा मिलेगी.उन्होंने कहा कि यह एसीपी सिर्फ कर्मचारियों से गया में काटा जा रहा है. अधिकारी व एक पार्षद की मिलीभगत से ही इस तरह का निर्णय कोर्ट से भी आ सका है. उन्होंने कहा कि इसको लेकर यूनियन की ओर से आंदोलन किया जायेगा.
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