गोपालगंज. गंडक नदी के जल स्तर में तेजी से कमी आ रही है. नदी का पानी घटने के साथ ही दियारा के गांवों से पानी निकलने लगा है. नदी के घटते जल स्तर से बांध पर कटाव का खतरा बना हुआ है. नदी का लेवल जब 80 से एक लाख क्यूसेक के बीच रहता है, तो कटाव का खतरा 10 गुना बढ़ा रहता है. गुरुवार को सुबह से वाल्मीकिनगर बराज से नदी का डिस्चार्ज 99 हजार से 110 लाख क्यूसेक के बीच बना रहा. वहीं पतहरा में खतरे के निशान से नदी 40 सेमी नीचे आ गयी. हालांकि टंडसपुर में खतरे के निशान 13 सेमी ऊपर है. बैकुंठपुर के निचले इलाके में सर्वाधिक गांवों में पानी अभी नहीं निकल सका है. उधर मुख्य अभियंता संजय कुमार, बाढ़ संघर्षात्मक बल के अध्यक्ष नवल किशोर सिंह, कार्यपालक अभियंता प्रमोद कुमार, जबकि पतहरा में सहायक अभियंता ऋषभ राज निगरानी में थे. बांध को सुरक्षित रखना विभाग की चुनौती है. पानी के घटते-बढ़ते रहने से बचाव कार्यों के भी नदी में समा जाने का खतरा बना है. विभाग ने तटबंधों को पूरी तरह से सुरक्षित होने का दावा किया है. जिससे तटबंधों पर भी काफी दबाव बढ़ा हुआ है. वहीं जिन गांवों से पानी निकल गया है, वहां कीचड़, गंदगी, बदबू से लोगों की परेशानी बढ़ी हुई है. पानी में लोगों के अनाज, बिछावन, कपड़े भी सड़ने लगे हैं. कुचायकोट के गांवों से पानी निकलने के बाद जलजनित बीमारियों के फैलने की आशंका बनी हुई है. गांव में जहां पानी लगा है, वहां धूप के कारण स्थिति खराब है. गांवों को जोड़ने वाली सभी सड़कों पर नदी का पानी खत्म हो गया है. लेकिन गांव चारों तरफ से घिरे हुए हैं. पानी के बाद भी अभी रास्ता चालू नहीं हो सका. सदर प्रखंड के कटघटरवां, हीरापाकड़, मेहंदियां, रामपुर टेंगराही, बरइपट्टी, पतहरा, सेमराही, निरंजना, धूप सागर, धर्मपुर, भगवानपुर, रामनगर, मकसुदपुर कुचायकोट में सिपाया टोला वार्ड नं 7, भसही, मांझा प्रखंड के निमुइया, माघी, मगुरहां, भैंसही एवं पुरैना सिधवलिया के बंजरिया समेत जिले के 43 गांवों में लोग बाढ़ की त्रासदी को अभी झेल रहे हैं. जगीरीटोला के उमरावती देवी के पति पंजाब में मजदूरी करते हैं. गांव में बूढ़ी सास व चार बच्चों के साथ रहती है. उनके घर में पानी निकलने के बाद अब राशन व सब्जी का संकट हो रहा है. गांव के लोग बाजार से कुछ सामान खरीद कर ला देते थे, तो काम चल रहा था. पानी के फैलने के बाद परिवार के समक्ष भोजन का भी संकट है. अकेले उमरावती ही नहीं, कमोबेश सबकी यही कहानी है. महंगाई के कारण लोगों की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं. घरों में राशन व सब्जियों के भी दिक्कत होने लगी है. जान को जोखिम में डालकर लोग रह रहे हैं. खेतों में पानी लगने के कारण पशुओं के लिए चारा लाना भी किसानों के लिए बड़ी चुनौती है.
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