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जीएसटी चोरी का नया खेल, 98 हजार का बिल बनाकर भेज रहे सामान

जीएसटी चोरी का नया खेल, 98 हजार का बिल बनाकर भेज रहे सामान

-एक लाख के बिल पर इ-वे बिल लेकर चलने का है नियम मुजफ्फरपुर. फर्जी जीएसटी लाइसेंस को रोकने के लिए नये नियम के बाद अब जिले में टैक्स चाेरी का नया खेल भी शुरू हो गया है. नियम के अनुसार एक लाख के सामान पर निर्धारित स्लैब में वस्तु कर लगता है, इतने बिल का सामान जब एक जगह से दूसरी जगह जाता है तो उसके लिए इ-वे बिल होना अनिवार्य है. इस बिल के निकालने से यह निश्चित हो जाता है कि सामान पर लगने वाले टैक्स की चोरी नहीं हो पायेगी, लेकिन अब इस टैक्स से बचने के लिए कई होलसेलर 98 हजार का बिल बना कर छोटे वाहनों से सामान एक से दूसरी जगह भेज दे रहे हैं. नियमानुसार एक लाख से कम के सामान पर इ-वे बिल अनिवार्य नहीं है. इसका फायदा इस रैकेट में शामिल दुकानदार उठा रहे हैं. बड़े वाहनों की अपेक्षा छोटे वाहनों की कई खेप से लाखों का सामान एक जिसे के अंदर और बाहर भेजा जा रहा है. राज्य कर विभाग की मोबाइल टीम अगर इन गाड़ियों को कहीं जांच भी करती है तो चालक बिल दिखा कर छूट जाता है. हालांकि कई ऐसे मामले में जिनमें अधिकारियों को शक होता है कि वाहनों पर रखे सामान की कीमत बिल से ज्यादा है तो उसको जब्त करते हैं और सामान की कीमत की जांच के बाद उसकी दर निर्धारित की जाती है. हालांकि ऐसे मामले बहुत कम आते हैं. अधिकतर वाहन कम रकम का बिल बना कर सामान भेजते हैं. नियम के अनुसार बिना इ-वे बिल के पकड़े जाने पर एक लाख से अधिक के सामान पर निर्धारित टैक्स की तीन गुनी पेनाल्टी ली जाती है. विभाग के सहायक अपर आयुक्त सत्येंद्र नारायण सिन्हा ने कहा कि मोबाइल टीम बिना इ-वे बिल वाली गाड़ियों की जांच कर रही है. ऐसे गाड़ियों को जब्त कर टैक्स वसूला जा रहा है.

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